Katla Fish Benefits : कतला मछली खाने के इतने फायदे सुनकर हैरान हो जाएंगे

Katla Fish benefits : अगर आप मांसाहारी हैं और मछलियां खाने के शौकीन हैं तो आपने कतला मछली (Katla Fish) के बारे में जरूर सुना होगा। भारत में इसे भाकुर मछली के नाम से भी जाना जाता है। यह दक्षिणी एशियाई देशों जैसे भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा म्यांमार के स्वच्छ और मीठे जल स्त्रोतों में पाई जाती है। यह खाने में काफी स्वादिष्ट तथा पौष्टिक तत्वों से भरी होती है। भारत में इस मछली का उपयोग काफी ज्यादा मात्रा में किया जाता है। कतला मछली खाने वालों के लिए यह आर्टिकल काफी महत्वपूर्ण है। इसके खाने के फायदे जानकर शायद आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे। इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।

कतला मछली के बारे में जानकारी (Katla Fish in Hindi)

कतला मछली भारत में सबसे ज्यादा खाने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली मछलियों में से एक है। भारत के लोग कतला मछली खाना काफी पसंद करते हैं। यह न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से भी भरी होती है। कतला मछली का वैज्ञानिक नाम (Katla Fish in english) जीबिलियन कटला (Gibelion Catla) है। यह भारत के कई बड़े नदियों तथा तालाबों में पाए जाते हैं।

Katla Fish
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आंध्र प्रदेश की गोदावरी तथा कृष्णा व कावेरी नदियों के मीठे और स्वच्छ जल में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। भारत के कई भागों में इसे अलग अलग नामो से पुकारा जाता है। मध्य प्रदेश, असम, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में इसे सामान्यतः कतला, पंजाब में थरला, उड़ीसा में यह भाकुर, आंध्र प्रदेश में बीचा तथा मद्रास में थोथा के नाम से जानी जाती है। यह सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली है।

कतला मछली के पहचान के लक्षण तथा विशेषता (Identification of Catla Fish)

Katla Fish का शरीर चौड़ा, पेट की अपेक्षा पीठ पर अधिक उभार, सिर लंबा और बड़ा, चौड़ा मुंह ऊपर की ओर मुड़ा हुआ, निचला होंठ समतल और मोटा होता है। यह काली और सलेटी रंगों की होती है जिसके किनारों पर सिल्वर और हल्के गुलाबी रंग के शल्क होते हैं। सिर को छोड़कर पूरा शरीर शल्क से ढका होता है जिसके कारण उन्हें बाहरी खतरो से सुरक्षा मिलती है।

पेट से लेकर पूछ तक काली या हरि धारियां होती है। पेट का हिस्सा सफेद होता है। पेट के अंदर गुब्बारे जैसी वस्तु होती है जिसे वाताशय कहा जाता है। इसके शरीर में 7 फिन होते हैं। इसके पंखों को फिन कहा जाता है जो इन्हें तैरने में मदद करती है। इसके पंख काले होते हैं। यह मीठे तथा स्वच्छ जल में पाई जाती है।

कतला मछली का जलीय भोजन (Katla Fish aquatic food)

यह अपना भोजन जल की ऊपरी सतह से ग्रहण करती है। जल के किनारे तथा सतह पर पाई जाने वाली वनस्पतियां इसके विकास में काफी सहायक होती है। जंतु पल्लवक इसका प्रमुख भोजन है। जब इसकी लंबाई 10 मिली मीटर की होती है तब ये केवल शैवाल, अनेक जीव कोष, प्रोटोजोआ तथा रोटीफर खाती है। 10 से 16.5 मिली मीटर लंबाई वाले कतला मछली मुख्य रूप से जंतु पल्लवक खाती है। कभी-कभी ये पानी के अंदर जलीय घास पात, सड़े गले पदार्थ, कीड़े-मकोड़े तथा छोटी मछलियों को भी खाती है।

कतला मछली का चारा (Katla Fish Feed)

कृत्रिम रूप से बनाया गया चारा मछलियों के जल्दी बढ़ने में काफी सहायक होता है। इस प्रक्रिया में मछलियों के भोजन में पाए जाने वाले सभी तत्वों को समान मात्रा में मिलाया जाता है। आज बाजार में कई प्रकार के मछलियों का चारा उपलब्ध है। यह चारा छर्रों के रूप में के रूप में उपलब्ध होती है। यहां दो प्रकार के छर्रे पाए जाते हैं-गीला तथा सूखा।

गीले छर्रे को सूखे छर्रे की अपेक्षा ज्यादा दिनों तक स्टोर नहीं किया जा सकता है। सूखे छर्रे को ज्यादा दिनों तक स्टोर करने के साथ-साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में भी काफी सुविधा होती है। मछलियों को प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा अन्य प्रकार के औषधीय खुराक की जरूरत होती है जो कृत्रिम रूप से बनाए गए चारे में उपलब्ध होती है।

कतला मछली बढ़ाने की दवा (Medicine for Katla Fish)

कतला मछली (Katla Fish) को जल्दी बढ़ाने के लिए वेस्ट डी कंपोजर रामबाण काम करता है। इसके लिए 100 लीटर जल में एक डब्बा वेस्ट डी कंपोजर को 2 किलोग्राम मीठा के साथ मिलाकर एक ड्रम में रख दें। प्रतिदिन ऐसे दो बार डंडे से ही हिलाएं। यह प्रक्रिया प्रतिदिन 1 सप्ताह तक करना होगा।

1 सप्ताह के बाद उसमें हल्की-हल्की खुशबू आना शुरू हो जाएगी। अब आप समझ जाइए कि आपकी दवा तैयार हो गई है। अब प्रति एकड़ 10 लीटर के हिसाब से तलाब में छिड़काव करना है। डी कंपोजर और पानी की मात्रा आधा-आधा होना चाहिए। यह काम मत्स्य विशेषज्ञों की देखरेख में ही करना चाहिए।

कतला मछली की औसत लंबाई और वजन (Catla Fish average length)

कतला मछली (Katla Fish) की औसत लंबाई 1 से 2 फुट तक रहती है। कभी-कभी इसकी लंबाई सामान्य से अधिक लगभग 1.8 मीटर तक होती है। बड़े-बड़े नदियों तथा तालाबों में यह 1 से लेकर 60 किलोग्राम तक की मिल जाती है। यह सीधे साधे और अहिंसक प्रजाति के होते हैं। बड़ी कतला मछलियां खाने में अधिक स्वादिष्ट और उच्च प्रोटीन होने के कारण इसकी मांग अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसीलिए उन्हें अधिक दामों में बेचा भी जाता है।

कतला मछली के बीज की कीमत (Katla Fish Seed Price)

कतला मछली (katla Fish) की बीज की कीमत लंबाई पर निर्भर करता है। बीज लंबाई 1 से 3 इंच या इससे अधिक भी होती है। भिन्न-भिन्न बाजारों में इसकी कीमत अलग-अलग होती है। इंडियामार्ट में 13mm से 25mm लंबाई वाले सीड की कीमत ₹8000/pack है, जहां एक पैक में 1 लाख सिड होते हैं।

प्रजनन क्षमता (fertility)

कतला मछली 3 वर्ष में प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है। नर की तुलना में मादा मछली की परिपक्वता पहले से ही शुरु हो जाती है। मादा मार्च माह से परिपक्वता प्रारंभ करती है तथा जून के अंत तक पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाती है। जबकि नर कतला मछली अप्रैल माह से परिपक्वता प्रारंभ करती है तथा जून के अंत तक पूर्ण रूप से परिपक्व हो जाती है। वर्षा ऋतु के दौरान यह प्रजनन क्रिया करती है। यह वर्ष में एक ही बार प्रजनन क्रिया करती है। आमतौर पर यह वर्ष में एक बार मानसून के मौसम में अंडे देती है।

कतला मछली अपने प्रति किलो भार के अनुसार 80 हजार से 1.5 लाख अंडे देती है। अंडे गोल तथा लाल और सफेद रंग के होते हैं। इसके अंडे बहुत छोटे आकार लगभग 2 से 2.5 मि.मी. के व्यास होते हैं। फर्टिलाइज होने पर यह पारदर्शी तथा इसका व्यास 4.5 से 5 मि.मी. तक हो जाता है। कई जगहों पर इसको सिर्फ नर्सरी के लिए पाला जाता है। रोहू कतला मछली (Rohu and Katla Fish) एक ही प्रजाति के होते हैं।

कतला मछली का वर्गीकरण (Classification of Catla fish)

Scientific NameCatla catla
orderCypriniformes
Phylum Chordata
Sub phylum Vertebrata
Class Pisces
Subclass Teleostei
Family Cyprinidae
kingdomAnimalia
Classification of Katla fish

कतला मछली खाने के फायदे (Katla Fish Benefits)

कतला मछली खाने वालों के लिए यह जानना जरूरी है कि कतला मछली खाने के क्या फायदे (Katla Fish benefits) हैं? कतला मछली खाने में जितना ज्यादा स्वादिष्ट होती है उतना ही ज्यादा पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। इसीलिए आज आपको इसके बेमिसाल फायदों के बारे में जानना चाहिए-

  1. मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के तत्वों की एक नियत मात्रा में जरूरत होती है। इसमें आयोडीन, सेलेनियम, पोटेशियम, जिंक, आयरन, प्रोटीन तथा अन्य मिनरल्स इत्यादि शामिल है। कतला मछली में यह सारे तत्व मौजूद हैं अतः इसे खाने से शरीर में एक समान रूप से यह सभी मिनरल्स प्राप्त होते हैं। अगर आप मांस मछली खाते हैं तो आज से ही इसका सेवन शुरू कर दें क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद ही फायदेमंद है।
  2. Katla Fish विटामिन ‘C’ की कमी को पूरी करती है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘C’ पाया जाता है। इसे खाने से विटामिन ‘सी’ की कमी से होने वाली बीमारियां जैसे स्कर्वी, एनीमिया, थकावट, दुर्बलता, रक्त स्त्राव, अंगों और विशेष रूप से पैरों में दर्द मसूड़ों में अल्सर तथा दांतों के नुकसान इत्यादि की समस्या से राहत मिलती है। विटामिन ‘C’ की पर्याप्त मात्रा से आप इन बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं।
  3. कतला मछली (Katla Fish) कैंसर सेल को खत्म करने का काम करती है। मीठे जल में पाए जाने वाले जीव के लिपिड में एक पदार्थ पाया जाता है, जिसे पूफा कहा जाता है। ये कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती है।
  4. इम्यूनिटी की कमी की वजह से वायरल संबंधी बीमारियां होती रहती है। विटामिन ‘C’ के कारण इम्यूनिटी भी मजबूत होती है और कफ, सर्दी, जुकाम आदि समस्याओं से भी निजात मिलता है।
  5. कतला मछली में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है। यह शरीर के अंदर होने वाली टूट-फूट को मरम्मत करने का काम करती है। हालांकि प्रोटीन की मात्रा सभी प्रकार की मछलियों में पाया जाता है।
  6. कतला मछली में ओमेगा थ्री (Omega-3) नामक फैटी एसिड पाया जाता है। यह दिल के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इस में वसा की मात्रा कम होती है इसीलिए इसे खाने से ताकत मिलती है। कैंसर जैसी भयानक बीमारी से बचने के लिए इसका सेवन करना चाहिए।
  7. Katla Fish के नियमित सेवन से शरीर के अंदर खून का संचार नियमित रूप से होता है। इससे शरीर के अंदर ब्लड प्रेशर, सूजन इत्यादि समस्याएं नहीं होती है। रक्त परिसंचरण बेहतर होने के कारण रक्त का थक्का नहीं जमता है।
  8. Fresh Katla Fish के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों में फायदा होता है। कतला मछली के सेवन से फेफड़ों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है, जिसके कारण अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। अस्थमा के मरीजों को डॉक्टर मछली खाने का सलाह जरूर देते हैं।
  9. शारीरिक त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए कतला मछली काफी फायदेमंद होता है। इसमें पाए जाने वाले कई प्रकार के विटामिन लोगों को लंबे समय तक जवां रखने में मदद करती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीएजिंग प्रभाव त्वचा को झुर्रियों की समस्या से बचाते हैं। कतला मछली के उपयोग से सूरज से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों के प्रभाव से हमें बचाते हैं।
  10. कतला मछली आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद वसा आंखों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके नियमित सेवन से आंखों की रोशनी तेज होती है जिससे देखने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  11. कतला मछली के सेवन से दिमाग तेज होता है। इसमें पाए जाने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड कोशिकाओं को विकसित कर उन्हें सक्रिय करने का कार्य करती है। प्रतिदिन इसके सेवन से दिमाग की दक्षता में वृद्धि होती है।
  12. इसमें सल्फर और जिंक की पर्याप्त मात्रा होती है, जो त्वचा के साथ-साथ इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत बनाने में मददगार होते हैं।
  13. कतला मछली तैलीय होती है लेकिन फिर भी इसकी कैलोरी कम होती है। जिसके कारण वजन घटाने में यह कारगर साबित होता है।

गर्भावस्था में कतला मछली के लाभ (Catla Fish Benefits During Pregnancy)

Katla Fish benefits during pregnancy : कतला मछली का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से कतला मछली के सेवन करने से गर्भ में पल रहे शिशु के उचित विकास में काफी मदत मिलती है। इससे भ्रूण को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति करने में आसानी होती है। गर्भावस्था के दौरान कतला मछली खाने से होने वाले बच्चे का मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। इससे बच्चे का दिमाग तेज होता है।

कतला मछली का रेट (Katla fish Price in India)

आमतौर पर तालाब अथवा नदियों में मिलने वाले ताजी कतला मछली की कीमत 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम (Katla fish price per kg in India) के बीच होती है। शहरों में इसकी कीमत 250 से 400 रुपए किलो तक होती है। इंडिया मार्ट (Katla fish online) में इसकी कीमत 220 रुपए प्रति किलोग्राम (katla fish 1kg price) होता है। हालांकि यह ताजे नहीं होते हैं।

कतला मछली बनाने की विधि (Katla fish Recipes)

  1. एक पूरी कतला मछली (लगभग 1 किलोग्राम) के सल्कों को निकाल कर उसे अच्छी तरह से धोएं तथा काटकर मीडियम साइज का पीस बना ले।
  2. अब उसे किसी ऐसे बड़े बर्तन में रखें जहां मिलाना आसान हो।
  3. उसके बाद इसमें हल्का नमक और हल्दी डालकर उसे मिलाएं तथा तेल में फ्राई कर ले।
  4. फ्राई करने के बाद कड़ाही में जितने तेल बचेंगे उसी में अगर तेल कम है तो थोड़ा डाल दे।
  5. अब प्याज, लहसुन, हल्की अदरक, मिर्च और पीला सरसों को अच्छी तरह से पीस लें।
  6. पीसा हुआ पेस्ट को तेल में डालकर कुछ देर तक फ्राई करें।
  7. अब स्वादानुसार नमक, हल्दी, धनिया पाउडर, गोलकी और जीरा पाउडर को डाल दें। तथा उसमें एक कटोरी पानी डाल दे।
  8. कुछ देर गर्म होने के बाद फ्राई की गई मछली को डाल दे।
  9. लगभग 5 मिनट के बाद उसमें भुना हुआ मेथी का पाउडर डाल दें और गैस को बंद कर दें।
  10. अब आपका डिस पूरी तरह से तैयार हो चुका है। आप चाहे तो इसे चावल अथवा रोटी के साथ बड़े चाव से खा सकते हैं।

कतला मछली से संबंधित हाल ही में पूछे गए प्रश्न एवं उनके उत्तर (FaQ)

Q. कतला मछली का वैज्ञानिक नाम क्या है?

Ans. कतला मछली का वैज्ञानिक नाम Gibelion Catla है।

Q. कतला मछली कितने दिनों में तैयार होती है?

Ans. कतला मछली को फरवरी मार्च महीने में तैयार होने के लिए छोड़ा जाता है तथा नवंबर दिसंबर आते-आते यह करीब 1 किलोग्राम का हो जाता है।

Q. कतला मछली क्या खाती है?

Ans. जंतु प्लवक इसका प्रमुख भोजन है। इसके अलावा पानी में उपस्थित सड़े गले पदार्थ, वनस्पति, साग-पात, कीड़े-मकोड़े इत्यादि खाते हैं।

Q. कतला मछली का रेट क्या है?

Ans. भारत के विभिन्न भागों में इसका रेट अलग अलग है। आंध्र प्रदेश में कतला मछली 120 से ₹170 प्रति किलोग्राम बिकती है। खुदरा बाजार में इसकी कीमत 100 से ₹250 किलो तक होती है।

Q. कतला मछली में कितना प्रोटीन होता है?

Ans. कतला मछली में 38 से 42% प्रोटीन होती है।

Q. सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली कौन सी है?

Ans. Ans. कतला सबसे तेज बढ़ने वाली मछली है।

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