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अगर आप मछलियां खाने के शौकीन हैं तो आपने रोहू मछली का नाम जरूर सुना होगा। इसका वैज्ञानिक नाम Labeo Rohita (लेबियो रोहिता) है। रोहू मछली सामान्यतः ताजे और मीठे जल में पाया जाता है। यह खाने में काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक तत्वों से भरी होती है। भारत में इस मछली का पालन सबसे ज्यादा मात्रा में होता है। अगर मछली आपका पसंदीदा भोजन है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। आज हम आपको Rohu fish (रोहू मछली) से जुड़ी सभी जानकारी जैसे-रोहू मछली खाने के फायदे, रोहू मछली की पहचान, रोहू मछली का चारा, रोहू मछली बनाने के तरीके इत्यादि विस्तार से देने जा रहा हूं।
रोहू मछली के बारे में जानकारी (About rohu fish in hindi)
रोहू मछली भारत में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले मछलियों में से एक है। Rohu fish scientific name लेबियो रोहिता है। यह ताजे और मीठे पानी में पाया जाता है। रोहू मछली सबसे स्वादिष्ट मछली होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरी होती है। अगर आप मछलियां खाने के शौकीन हैं तो आपने रोहू मछली का नाम जरूर सुना होगा।
पहचान के लक्षण
इसका शरीर लंबा और बीच से गोल नाव की तरह होता है। इसके कारण उन्हें जल में तैरने में आसानी होती है। शरीर शल्क से ढका होता है जिसके कारण उन्हें बाहरी खतरों से सुरक्षा मिलती है। लेकिन सिर पर शल्क नहीं होते हैं। सिर के दोनों तरफ गलफड़े होते हैं, जिसमें गिल स्थित होते हैं। यह उनका मुख्य श्वसन अंग है। इसके शरीर में 7 फिन होते हैं। इनके पंखों को फिन कहां जाता है जो इन्हें तैरने में सहायता करते हैं। पेट से लेकर पूछ तक काली या हरि धारियां होती है। पेट का हिस्सा सफेद होता है। पेट के अंदर गुब्बारे जैसी वस्तु होती है जिसे वाताशय कहा जाता है।
यह उसे पानी के अंदर तैरने में मदद करती है। इसका सिर तिकोना होता है। सिर के नीचे मुंह तीखा तथा होंठ झालर की तरह होता है। रोहू मछली की औसत लंबाई सामान्यतः 1-2 फुट तक रहती है। कभी-कभी इसकी लंबाई सामान्य से अधिक हो जाती है। बड़े बड़े नदियों और तालाबों में 1 से लेकर 30 किलो तक की रोहू मछली मिल जाती है। यह 4 से 5 फुट तक होती है। बड़ी रोहू मछलियां (Big rohu fish) खाने में अधिक स्वादिष्ट होती है इसीलिए इन्हें अधिक दाम में बेचा जाता है।
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रोहू मछली का इतिहास (History of Rohu Fish)
जीनस साइप्रिनिडे की मछली को आमतौर पर कार्प के रूप में जाना जाता है। इसकी 220 से 240 प्रजातियां होती है जो सामान्यतः मीठे जल में ही पाया जाता है। सर्वप्रथम इसकी खोज हैमिल्टन ने सन 1800 में किया था। इसका नाम कई बार बदला तथा अंत में इसे लेबियो रोहिता के नाम से जाना जाने लगा।
हैमिल्टन ने सर्वप्रथम इस मछली को बंगाल के नदियों से पकड़ा था। इसे बंगाल में (Rohu fish in bengal) रुई माछ (rui fish) के नाम से जाना जाता है। इसे मराठी में (Rohu fish in marathi) रोहू माशाचा कहा जाता है। ताजे और मीठे पानी के स्रोतों जैसे तालाब, नदी, बड़े बड़े डैम इत्यादि में यह आसानी से मिल जाएंगे। आजकल लोग कृत्रिम रूप से बायो फ्लॉक प्लांट बनाकर भी इसका पालन कर रहे हैं।
रोहू मछली का मुख्य भोजन
यह आमतौर पर पानी के अंदर सड़े-गले पदार्थ कीड़े मकोड़े तथा छोटी मछलियों को खाते हैं। जल की सतह में उपस्थित जैविक पदार्थ तथा वनस्पतियों के टुकड़ों को यह बड़े आराम से खाते हैं। जीवन के अलग-अलग काल में इसके अलग-अलग भोजन होते हैं। जब यह 5 से 13 मिली मीटर लंबाई का लारवा होता है तब बहुत बारीक एक कोशिकीय एलगी खाता है। वही 10 से 15 मिली मीटर अवस्था पर रोटीफर, प्रोटेजोन तथा 15 मिलीमीटर या उससे अधिक होने पर तंतु दार सेवाल अथवा सड़ी गली चीजें खाती हैं।
रोहू मछली का चारा (Rohu fish Feed)
रोहू (Rohu) तथा अन्य मछलियों के लिए बाजार में कई प्रकार के बनावटी फीड उपलब्ध है। यहां दो प्रकार के फिड पाए जाते हैं-सुखी तथा गीली। गीली फीड ज्यादा दिन रखने पर खराब हो जाते हैं। इसे सूखा बनाने के लिए कई प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है। सूखे फीड को कई दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता है।
इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सुविधा होती है। इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा अन्य तत्वों की मात्रा अधिक होती है। रोहू मछली को दिए जाने वाला चारा दो प्रकार का होता है। पहला जो पानी के अंदर डूबती है तथा दूसरा जो पानी के ऊपर तैरती है। यह विभिन्न प्रकार के Palette के रूप में उपलब्ध होती है।
रोहू मछली के बीज की कीमत (Rohu fish seed price)
रोहू मछली का बीज की कीमत मछली की लंबाई पर निर्भर करता है। यह 1 से 3 इंच या इससे अधिक भी होती है। हर प्रकार के मार्केट में इसकी कीमत अलग-अलग होती है। इंडिया मार्ट में 1-3 इंच सीड की कीमत 0.50-2.00 रुपए प्रति इकाई है। वही ट्रेड इंडिया इसे प्रति इकाई एक रुपए 30 पैसे में बेचती है।
जीवन दायक औषधि
मछलियों में कई प्रकार की बीमारियां आमतौर पर आती है। जब मछलियां खाना पीना बंद कर दे उस वक्त मछलियों को कई प्रकार के औषधियों की आवश्यकता होती है। इन औषधियों को पानी में घोलकर उन्हें दिया जाता है। आमतौर पर मछलियों में घाव होना तथा उसके शल्क अपने आप निकलना बीमारी के लक्षण होते हैं।
रोहू मछली की प्रजनन क्षमता
यह 2 सालों के अंदर अंडे देने लायक हो जाती है। वर्षा काल में यह अपने आप को प्रजनन के लिए तैयार करती है। यह वर्ष में एक ही बार प्रजनन करती है। आमतौर पर मॉनसून के दौरान साल में एक बार रोहू मछली अंडे भी देती है। यह अपने प्रति किलो भार के अनुसार 2.0-2.5 लाख अंडे देती है। अंडे गोल तथा लाल और सफेद रंग के होते हैं।
इसके अंडे बहुत छोटे आकार लगभग 1.5 mm के ब्यास होते हैं। फर्टिलाइजर होने पर यह पारदर्शी तथा इसका व्यास 3 mm हो जाता है। कई जगहों पर इन्हें सिर्फ नर्सरी के लिए पाला जाता है। आमतौर पर फरवरी या मार्च महीने में इसे तालाबों में डाला जाता है तथा दिसंबर होते होते यह 1 किलोग्राम तक का हो जाता है। रोहू कतला मछली (rohu and katla fish) एक ही प्रजाति के होते हैं।
रोहू मछली खाने के फायदे (Rohu fish benefits)
रोहू मछली (Rohu machli) के दीवानों के लिए आज हम यह खास आपके लिए लाए हैं। अगर आप मांसाहारी हैं और मछली खाने की काफी शौकीन है तो आपको यह जरुर जानना चाहिए कि Rohu Fish आपके लिए कितना लाभदायक है। रोहू मछली खाने में जितना ज्यादा स्वादिष्ट है उतना ही ज्यादा पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। इसलिए आज आपको इसके बेमिसाल फायदों के बारे में बताएंगे-
- मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के तत्वों की एक नियत मात्रा में जरूरत होती है। इनमें आयोडीन, सेलेनियम, पोटैशियम, जिंक, आयरन, प्रोटीन तथा अन्य मिनरल्स इत्यादि शामिल है। रोहू मछली में यह सारे तत्व (Rohu fish nutrition) मौजूद हैं अतः इसे खाने से शरीर में एक समान रूप से ये सभी मिनरल्स प्राप्त होते हैं। अगर आप मांसाहारी हैं तो आज से ही इसका सेवन शुरू कर दें, क्योंकि यह बेहद ही फायदेमंद है।
- रोहू मछली विटामिन सी “C” की कमी को पूरी करते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। इसके सेवन से विटामिन सी की कमी से होने वाली बीमारियां जैसे-स्कर्वी, एनीमिया, थकावट, दुर्बलता, रक्त स्त्राव, अंगों और विशेष रूप से पैरों में दर्द, मसूड़ों में अल्सर तथा दातों के नुकसान इत्यादि कि समस्या से राहत मिलती है। विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा से आप इन बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं।
- लोबिया रोहित यानी कि रोहू मछली कैंसर सेल को खत्म करने का काम करती है। मीठे जल में पाए जाने वाले इस जीव के लिपिड में एक पदार्थ पाया जाता है जिसे पूफा कहते हैं। ये कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती है।
- इम्यूनिटी की कमी के कारण वायरल संबंधी बीमारियां आम होती है। विटामिन सी “C” के कारण आपकी इम्यूनिटी भी मजबूत होती है और आप कफ, सर्दी-जुकाम आदि समस्याओं से दूर रह सकते हैं।
- रोहू मछली में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है। इससे शरीर के अंदर होने वाली टूट-फूट को मरम्मत करने का काम करती है। हालांकि प्रोटीन की मात्रा सभी प्रकार की मछलियों में पाया जाता है।
- रोहू मछली में omega-3 नामक फैटी एसिड पाया जाता है। यह दिल के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें वसा की मात्रा कम होती है इसीलिए इसे खाने से आपको ताकत मिलती है। कैंसर जैसी भयानक बीमारी से बचने के लिए इसका सेवन आप कर सकते हैं।
- Rohu fish के नियमित सेवन से शरीर के अंदर खून का संचार नियमित रूप से होता है। इससे शरीर के अंदर ब्लड प्रेशर सूजन इत्यादि समस्याएं नहीं होती है। रक्त परिसंचरण बेहतर होने के कारण रक्त का थक्का नहीं जमता है।
- Fresh rohu fish के सेवन से स्वास्थ संबंधी बीमारियों में फायदा होता है। रोहू मछली के सेवन से फेफड़ों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है, जिसके कारण अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। अस्थमा के मरीजों को डॉक्टर मछली खाने का सलाह जरूर देते हैं।
- शारीरिक त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए रोहू मछली काफी फायदेमंद होता है। इसमें पाए जाने वाले कई प्रकार के विटामिन लोगों को लंबे समय तक जवां रखने में मदद करती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीएजिंग प्रभाव त्वचा को झुर्रियों की समस्या से बचाते हैं। रोहू मछली के उपयोग से सूरज से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों (UV Ray) के प्रभाव से हमें बचाते हैं।
- रोहू मछली आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद वसा आंखों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके नियमित सेवन से आंखों की रोशनी तेज होती है जिससे देखने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- रोहू मछली के सेवन से दिमाग तेज होता है। इसमें पाए जाने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड के कारण कोशिकाओं को विकसित कर उन्हें सक्रिय करने का कार्य करती है। प्रतिदिन इसके सेवन से दिमाग की दक्षता में वृद्धि होती है।
गर्भावस्था में रोहू मछली लाभ (Rohu fish benefits during pregnancy)
रोहू मछली का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है। गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से रोहू मछली के सेवन करने से गर्भ में पल रहे शिशु के उचित विकास में काफी मदत मिलती है। इससे भ्रूण को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति करने में आसानी होती है। गर्भावस्था के दौरान रोहू मछली खाने से होने वाले बच्चे का मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। इससे बच्चे का दिमाग तेज होता है।
रोहू मछली का रेट (Rohu fish price in India)
आमतौर पर तालाब अथवा नदियों में मिलने वाले ताजी रोहू मछली की कीमत 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम (Rohu fish price per kg in India) के बीच होती है। शहरों में इसकी कीमत 250 से 400 रुपए किलो तक होती है। इंडिया मार्ट (Rohu fish online) में इसकी कीमत 220 रुपए प्रति किलोग्राम (Rohu fish 1kg price) होता है। हालांकि यह ताजे नहीं होते हैं।
अमेरिका में रोहू मछली को क्या कहते हैं? (Rohu fish in USA)
इंडिया में लोग इसे रोहू अथवा लेबियो रोहिता के नाम से जानते हैं। वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में इस किस्म को CARP (Rohu carp) कहा जाता है।
American Rohu Fish अमेरिका के कई झीलों अथवा नदियों में पाया जाता है। यह मछली बांस अथवा छड़ की लंबी डंडियों से पकड़ा जाता है। जिसे चारा डाल कर फंसाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में अधिकांश लोग इसका सेवन नहीं करते हैं।
रोहू मछली से संबंधित हाल ही में पूछे गए प्रश्न तथा उनके उत्तर (FaQ)
Ans- रोहू मछली का वैज्ञानिक नाम लेबियो रोहिता (Labeo Rohita) है।
Ans- रोहू मछली को फरवरी और मार्च महीने में तैयार होने के लिए तालाब में छोड़ा जाता है। उस समय वे 2 या 3 इंच के होते हैं। दिसंबर आते-आते यह करीब 1 किलोग्राम का हो जाता है।
Ans- आमतौर पर यह जल में रहने वाले सड़े गले चीजों, वनस्पतियों तथा छोटे कीड़े मकोड़ों को खाते हैं। इसके अलावा यह कृत्रिम रूप से उपयोग किए जाने वाले फीड को भी खाते हैं।
Ans- इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
Ans- रोहू मछली में विटामिन C पाया जाता है। जिसके कारण विटामिन सी की कमी से होने वाली बीमारियों में राहत मिलती है। इसके अलावा विटामिन c की के कारण इम्यूनिटी में वृद्धि होती है। यह वायरल इनफेक्शन जैसे सर्दी जुकाम आदि से लड़ने में सहायक होती है।
इसके अलावा इसमें प्रोटीन, वसा, आयोडीन, सेलेनियम, पोटैशियम, जिंक, आयरन इत्यादि मिनरल्स की मात्रा होती है। यह रोगों से लड़ने में काफी सहायक होती है। रोहू मछली कैंसर के कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करती है।
Ans- आमतौर पर गांव में 150 रुपए से लेकर 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है। शहरों में इसकी कीमत 200 से ₹400 प्रति किलोग्राम होती है।
Ans – यह आमतौर पर सबसे ज्यादा पानी के अंदर सड़े गले जलीय वनस्पति इत्यादि खाते हैं।
Ans- रोहू मछली को तमिल में Roku min (ரோகு மீன்) कहा जाता है।
Ans- रोहू मछली को तेलुगू में Rohu cepa (రోహు చేప) कहा जाता है।
Ans- रोहू मछली को मलयालम में Reahu matsyam (രോഹു മത്സ്യം) कहा जाता है।
Ans- रोहू मछली को मराठी में Rohu masa (रोहू मासा) कहा जाता है।
Ans- रोहू मछली को कन्नड़ में Rohu minu (ರೋಹು ಮೀನು) कहा जाता है।
Ans- रोहू मछली को बंगाली में Rui machh (রোহু মাছ) कहा जाता है।
रोहू मछली (Rohu fish) से जुड़ी जानकारी आपको कैसा लगा हमें जरूर बताइएगा। आपका सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इस आर्टिकल से संबंधित कोई शिकायत या सुझाव हो तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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