Vehicle Scrappage Policy क्या है | Scrappage Policy 2021 full details Hindi

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अपनी गाड़ी हर किसी को प्यारी होती है चाहे वह नई हो या पुरानी। कोई भी अपनी गाड़ी को इस तरह से कबाड़ में डालना कतई पसंद नहीं करेगी। भारत सरकार ने पुरानी गाड़ियों के लिए नई Scrap Policy का एलान कर दिया है। नई Vehicle Scrappage policy के मुताबिक सरकार ने 15 और 20 साल या उससे अधिक पुरानी गाड़ियों को कबाड़ घोषित कर दिया है। सरकार के मुताबिक 15 साल से अधिक कमर्शियल वाहन तथा 20 साल से अधिक के निजी वाहनों को रद्दी के भाव कबाड़ी में बेचने के निर्देश दिए हैं। आइए इस पॉलिसी को विस्तार से जानते हैं। इसके अलावा यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि इससे सरकार को क्या फायदा और जनता को क्या नुकसान होने वाला है।

Table of Contents

कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) क्या है?

हाल ही में बढ़ते सड़क दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) की शुरुआत की गई है। इस नीति के अनुसार 15 साल या उससे अधिक के कमर्शियल वाहन तथा 20 साल या उससे अधिक के निजी वाहन स्क्रेपेज पॉलिसी (Scrappage Policy) के तहत कबाड़ घोषित हो जाएगी। सीधे शब्दों में कहा जाए तो जिस गाड़ी ने आपका साथ 20 साल तक दिया है उसे आपको कबाड़ी में बेचना पड़ेगा।

इसके लिए वाहन मालिकों को अपनी गाड़ी ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर एक तय समय के बाद ले जाना पड़ेगा। 20 साल से अधिक पुराने प्राइवेट वाहन अगर Automated Fitness Center टेस्ट पास नहीं कर पाते हैं अथवा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) को Renue नहीं करवाते हैं तो 1 जून 2024 के बाद खुद से रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाएगा। गाड़ी की फिटनेस और गुणवत्ता के आधार पर स्क्रैप पॉलिसी ( Scrappage Policy ) पर विचार किया जाएगा।

अगर आपकी गाड़ी फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाती है तो भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड Scrap Facilities में अपनी गाड़ी जमा करनी पड़ेगी। सरकार के अनुसार इस पॉलिसी से वाहन मालिकों को आर्थिक नुकसान कम होगा, साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी भी आएगी। इससे भारतीय कार निर्माता कंपनी ( मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ) को भी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। नई स्क्रैप पॉलिसी 1 अक्टूबर 2021 से लागू हो जाएगी।

क्या है 20-year old vehicle scrap policy के नियम:-

15 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों को एक तय समय के बाद सरकार द्वारा रजिस्टर्ड ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में लाना होगा। अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में पास हो जाता है, तो उस वाहन के लिए ग्रीन सर्टिफिकेट देकर उसे आगे भी चलाने के लिए हरी झंडी दे दी जाएगी। अगर वाहन फिटनेस टेस्ट को पास नहीं कर पाता है तो उसे स्क्रैप पॉलिसी के अंतर्गत उस वाहन के एक्स शोरूम की कीमत निर्धारित कर उसे स्क्रैप के लिए डाल दिया जाएगा। जबकि प्राइवेट वाहनों को 20 साल या उससे पुराना होने पर दोबारा रजिस्ट्रेशन न कराने के आधार पर स्क्रैप किया जाएगा। यह पॉलिसी जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों के पॉलिसी के आधार पर निर्धारित किए गए हैं।

वाहन मालिकों को किस तरह से होगा फायदा? (Vehicle scrappage policy: benefits)

हालांकि इस पॉलिसी से वाहन मालिकों को नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन उन्हें बहुत सारी चीजों में छूट भी मिलेगी। जिससे उनके लिए थोड़ी मदद मिल सकती है। आइए बारी-बारी से इन सभी चीजों को जानते हैं।

नए वाहन की खरीद पर मिलेगा 5 फ़ीसदी का छूट।

ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों और एक्सपर्ट का कहना है की पुराने वाहन को स्क्रैप करने के बाद वाहन मालिकों को एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। नया वाहन खरीदते वक्त इस सर्टिफिकेट को दिखाने पर आपको वाहन की कुल लागत का 5% छूट मिलेगी। यह छूट ऑटो कंपनियों द्वारा दिया जाएगा। मान लीजिए आप 10 लाख रुपए का कोई वाहन खरीदना चाहते हैं। उसके बाद आप स्क्रैप पॉलिसी के द्वारा मिला सर्टिफिकेट दिखाते हैं तो आपको वह वाहन 9 लाख 50 हजार रुपये में ही मिल जाएगा। इस तरह से आपको पूरे 50 हजार रुपए का फायदा होगा।

नई गाड़ी खरीदने पर रजिस्ट्रेशन फीस में छूट।

अगर आप पुरानी गाड़ी स्क्रैप करवाने के बाद नई गाड़ी खरीदते हैं और स्क्रैप के बाद मिले सर्टिफिकेट को वहां दिखाते हैं तो आपको रजिस्ट्रेशन फीस बिल्कुल भी नहीं देना होगा। आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन बिल्कुल फ्री में हो जाएगा।

रोड टैक्स में छूट।

स्क्रैप पॉलिसी के बाद अगर आप नया प्राइवेट व्हीकल खरीदते हैं और स्क्रैप के बाद मिला सर्टिफिकेट दिखाते हैं तो आपको रोड टैक्स में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी। वही कमर्शियल व्हीकल खरीदने वालों को रोड टैक्स में 15 प्रतिशत की छूट मिलेगी।

आम लोगों को कैसे मिलेगा फायदा?

पुरानी टेक्नोलॉजी की गाड़ियां अधिक मात्रा में काले धुएं छोड़ती है। यह पर्यावरण के लिए खतरनाक है। आपको याद होगा पिछले साल कोरोना का पहला लॉकडाउन। जब पूरी दुनिया घरों में कैद थी। उस वक्त हमारा पर्यावरण बिल्कुल साफ एवं स्वच्छ हो चुका था। इसका केवल एक ही कारण था गाड़ियों और कारखानों का बंद रहना। उस वक्त हमने सालों बाद नीला आकाश देखा था।

इसके अलावा पुरानी गाड़ियों में दुर्घटना की संभावनाएं ज्यादा बनी रहती है। पिछले कुछ सालों में सड़क दुर्घटनाएं ज्यादा देखने को मिली है। कई लोगों ने अपनों को खोया है। नए वाहनों में नई टेक्नोलॉजी होने के कारण दुर्घटनाएं कम होंगी।

नए Scrappage Policy में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

नए स्क्रेपेज पॉलिसी के द्वारा ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे। इसके अलावा ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर तथा स्क्रेपेज सेंटर के द्वारा कई लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

Scrappage Policy से ऑटोमोबाइल कंपनियों को क्या फायदा होगा?

ऑटोमोबाइल कंपनी से जुड़ी स्टील और अन्य प्रीेसस मेटल का इससे पहले दूसरे देशों से ज्यादा मात्रा में आयात करना होता था। देश में स्क्रेपिंग अभी तक होती आ रही है, जिससे निकले स्क्रैप काफी नहीं था। Scrappage Policy के बाद ऑटोमोबाइल कंपनियां जो भारत में है उन्हें काफी मात्रा में और सस्ते दामों में कच्चा माल उपलब्ध हो जाएगा। जिसके कारण ऑटो मैन्युफैक्चरिंग में पडने वाली लागत कम हो सकती है।

Scrappage Policy से सरकार को क्या होगा फायदा?

Scrappage Policy के बाद जब लोग अपनी पुरानी गाड़ियां स्क्रैप करने के बाद नई गाड़ियां खरीदेंगे तो सरकार को सालाना 40 हजार करोड रुपए जीएसटी ऑटोमोबाइल सेक्टर से प्राप्त होगा। इससे सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी। इस पॉलिसी के जद में 20 साल पुराने निजी हल्के वाहन लगभग 51 लाख जबकि 15 साल पुराने कमर्शियल ( LMV) वाहन लगभग 34 लाख आएंगे। इसके अलावा 15 लाख मीडियम और हेवी मोटर वाहन भी आएंगे जो 15 साल से ज्यादा पुराने हैं तथा उनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है। सरकार इसे भी assets के रूप में देखती है।

इस पॉलिसी से इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगा बढ़ावा

पेट्रोल डीजल की बढ़ती महंगाई के कारण अब लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ ज्यादा रुख करने लगे हैं।
स्क्रैप पॉलिसी के बाद जो वाहन हटेंगे उम्मीद है उसका एक तिहाई हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहन ले लेंगे। इससे प्रदूषण कम होग और वातावरण भी शुद्ध होगा। इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों में आने के बाद तेल की खपत कम हो जाएगी। इससे देश का क्रूड ऑयल का इंपोर्ट कम हो जाएगा

Scrappage Policy में पुरानी कार की कीमत किस आधार पर तय होगी?

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद सत्र के दौरान Vehicle Scrappage Policy पेश करते हुए कहा था की स्क्रैप किए जाने वाले वाहन की वैल्यू वाहन के एक्स शोरूम के कीमत के आधार पर होगी। स्क्रैप किए जाने वाले वाहन की कीमत उस वाहन के एक्स शोरूम के कीमत का 4 से 6 फ़ीसदी दिया जाएगा। मान लीजिए आपके पुराने वाहन की एक्स शोरूम की कीमत 1 लाख रुपये है। तब उस वाहन की कीमत 4 से 6 फ़ीसदी दिया जाएगा। यानी कि आपको 4000 से 6000 रुपए तक मिलेगा।

क्या होगा अगर आपकी गाड़ी फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाए?

एक प्रतिष्ठित अखबार के अनुसार अगर आपकी 15 साल पुरानी कमर्शियल व्हीकल फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाती है तो उसे डीरजिस्टर कर दिया जाएगा। उसे एंड ऑफ लाइफ घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद ऐसी गाड़ियों को सड़क पर नहीं चलाया जा सकता है।

इस पॉलिसी में 15 साल पुराने वाहनों को ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट में फेल होने पर डी-रजिस्टर करने का प्रावधान है। अगर वाहन 15 साल से ज्यादा पुराना है तो उसे फिटनेस टेस्ट कराने में ज्यादा टैक्स भी देना होगा। इसके अलावा निजी वाहन अगर 20 साल या उससे ज्यादा पुराना है तो दोबारा रजिस्ट्रेशन ना कराने की स्थिति में डीरजिस्टर कर दिया जाएगा। इसके बाद ऐसी गाड़ियां सड़क पर नहीं चल पाएगी।

मोटरसाइकिल के लिए कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy for Two Wheeler)

प्रदूषण के बढ़ते खतरे तथा ड्राइविंग सुरक्षा के प्रति सरकार हमेशा चिंतित रहती है। इसलिए सरकार वाहनों को नई टेक्नोलॉजी के साथ अपग्रेड करने की लगातार नए तरीके विकसित कर रही है। स्क्रेपेज पॉलिसी इसका एक अच्छा उदाहरण है। इससे भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में बदलाव आने की उम्मीद है। स्क्रेपेज पॉलिसी 2021 के अंदर मोटरसाइकिल को भी रखा गया है।

अगर आपकी बाइक निजी इस्तेमाल के लिए उपयोग किए जाते हैं तब आपकी बाइक अच्छी है। अगर 15 वर्षों बाद आपने इसे कोई व्यवसायिक उपयोग के लिए पंजीकृत किया है तो वह फिटनेस मानदंड के अधीन होंगे और इसमें वह सारे नियम लागू होंगे जो चार पहिया हल्के वाहनों तथा भारी मोटर वाहनों में लागू होते हैं।

Vehicle Scrappage Policy कब से लागू होंगे? (Scrappage policy 2021 implementation date)

फिटनेस टेस्ट तथा स्क्रेपिंग सेंटर का काम चल रहा है। यह 1 अक्टूबर 2021 से लागू हो जाएंगे। सरकारी वाहनों तथा पब्लिक सेक्टर यूनिट हे जुड़े 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रेपेज पॉलिसी के अंतर्गत 1 अप्रैल 2022 से लाया जाएगा। कमर्शियल व्हीकल से जुड़े तमाम मापदंड जैसे फिटनेस टेस्टिंग इत्यादि नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू होंगे। इसके अलावा अन्य सभी वाहनों का फिटनेस टेस्टिंग इत्यादि के नियम 1 जून 2024 से पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। सरकार ने इसके लिए मसौदा तैयार कर लिया है।

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