Yoga : योग क्या है? International Yoga day essay in Hindi

Yoga Day : योग का अर्थ – योग ( Yoga ) एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जहां मन शरीर तथा आत्मा का एक साथ मिलन ( योग ) होता है। यह संस्कृत के “युज” धातु से बना है जिसका अर्थ होता है- जुड़ना या योग।

योग क्या है ? What is yoga in hindi

योग क्या है ( Yoga kya hai ), इसको जानने के लिए हमें इसके जड़ में जाना होगा।

“योग” – यह शब्द पूर्ण रूप से विज्ञान से जुड़े हुए हैं जो शारीरिक, मानसिक और आत्मबल को एकजुट बनाता है। योग की ताकत आप को पूर्ण रूप से मानसिक, शारीरिक तथा आत्मबल से भर देता है। कहा जाता है की नियमित योगाभ्यास से व्यक्ति अमरत्व को को भी प्राप्त कर सकता है।

किंतु यह बिल्कुल भी आसान नहीं है। अगर कोई इंसान शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो उनके लिए यह एक बेहतरीन जीवन का उदाहरण है। आप इसे सिर्फ व्यायाम नहीं कह सकते बल्कि यह विज्ञान पर आधारित एक कठिन शारीरिक क्रिया है।

योग एक ऐसी स्थिति है जिसमें हम अपने दैनिक जीवन की चिंताओं से दूर जाते हैं तथा हम आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करते हैं। इसके द्वारा मानव और प्रकृति के बीच एक रिश्ता कायम होता है। योग जीवन को जीने का एक सही मार्ग है। व्यवहारिक रूप से योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने के साथ एक दूसरे से परस्पर तालमेल बनाने का एक साधन है।

गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने कहा था – योग: कर्मेसु कौशलम्। जिसका अर्थ है- योग से कर्मों में कुशलता आती है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि योग करके अपने जीवन को सदा के लिए अमर कर लेते थे। वे एक ही योग मुद्रा के साथ बैठे रहने के कारण उनके शरीर में घास या छोटे छोटे पौधे उग आते थे।

किंतु उनका ध्यान योग से नहीं भटकता था। इस योग को हठयोग के नाम से जाना जाता है। अपने दैनिक जीवन में लोग बहुत सारे मानसिक परेशानियों से घिरे रहते हैं। इन परेशानियों को दूर करने के लिए योग एक बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि यह आपको तुरंत फायदा नहीं पहुंचा सकता किंतु यह इनसे मुकाबला करने की सिद्धि विधि है।

योग के प्रकार | Types of yoga in hindi

आधुनिक योग में श्वास, शक्ति तथा शारीरिक लचीलापन पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यह शारीरिक के साथ-साथ मानसिक क्षमता को भी बढ़ाने में मदद करता है। योग के मुख्यतः चार प्रकार है-

राजयोग ( Raja Yoga ) :

राजयोग स्वयं को जानने की एक यात्रा है। राजयोग का तात्पर्य यह है कि जब कोई व्यक्ति अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में थोड़ा सा समय निकाल कर आत्म निरीक्षण करें तो वे अपनी चेतना के मर्म की ओर वापस लौट सकते हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी जिंदगी से इतनी दूर निकल आए हैं कि वे अपनी सच्ची मन की शांति और शक्ति को भी भूल गए हैं।

इसके कारण उन्हें तनाव महसूस होता है और यही तनाव एक भयंकर बीमारी का रूप ले लेता है। “राजयोग” एक ऐसा योग है जिसे हर व्यक्ति कर सकता है। इस योग में न ही कोई धार्मिक प्रक्रिया है न ही मंत्र तंत्र। इस योग को चाहे कहीं भी हो तथा किसी भी समय हो आप कर सकते हैं। इस योग को आंख खोलकर किया जाता है इसीलिए यह काफी सरल प्रक्रिया है।

ज्ञानयोग ( Gyan Yoga)

ज्ञान का अर्थ- परिचय शब्द से है। ज्ञान योग वह मार्ग है जहां- कठिन अभ्यास, विवेक और परिचय के द्वारा वास्तविकता की खोज की जाती है। हमारी चेतना के सर्वोच्च सभा को “विवेक” कहा जाता है। यह ज्ञान का सही रूप है। हमारी चेतना हमें सही और गलत में अंतर बताती है। फिर भी हमारी अहंकारी इच्छाएं दृढ़ रूप से प्रकट होती है तथा भीतर की अंतरात्मा के आवाज को दबा देती है।

कर्मयोग ( Karma Yoga )

कर्म का शाब्दिक अर्थ- क्रिया या काम करने से है। शारीरिक या मानसिक रूप से की गई क्रिया कर्म कहलाता है। हमारे अंदर जो कुछ भी भावनाएं आती है, उनका एक प्रभाव होता है। जो सही समय आने पर हमें पूर्ण मात्रा में प्रतिफल देता है। यह भाग्य के परिणाम सिद्धांत के अनुसार ही होता है।

कर्म योग का स्पष्ट सिद्धांत है की आज जो मैं काट रहा हूं वह हमारे कार्यों द्वारा अतीत में बोया गया था। अगर इस बारे में ध्यान दिया जाए तो हम अपने वर्तमान में अच्छे कर्मों के द्वारा भविष्य को खूबसूरत बना सकते हैं। यह हमें नकारात्मकता तथा स्वार्थ से मुक्त करता है। जीवन में कर्मयोग का मतलब अपना निस्वार्थ जीवन जीना तथा लोगों की सेवा करना है।

भक्ति योग ( Bhakti Yoga )

भक्ति का अर्थ- “प्रेम और ईश्वर के प्रति निष्ठा” से है। प्रकृति के प्रति प्रेम और निष्ठा सभी प्राणियों के प्रति दया सम्मान और उनका संरक्षण ही भक्ति योग है। छोटा-बड़ा, धनी- निर्धन चाहे वह किसी भी राष्ट्र या धर्म से संबंध रखता है, भक्ति योग का अभ्यास कर सकता है।

यह हमें अपने उद्देश्य को सीधा और सुरक्षित मंजिल तक पहुंचा देता है। ईश्वर हर प्राणी में विद्यमान है। भक्ति योग में ईश्वर के किसी भी रूप की आराधना की जा सकती है। प्रेम हमें ईश्वर के साथ उत्तम धागे से जोड़ती है।

योग का इतिहास ( History of yoga in hindi )

ऐसा माना जाता है कि योग का प्रारंभ भारत में हुआ था। हालांकि अभी तक इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिले हैं। लगभग 2000 वर्ष पूर्व भारत के ऋषि पतंजलि द्वारा लिखा गया “योग सूत्र” नामक ग्रंथ मन तथा भावनाओं को नियंत्रित करने तथा आध्यात्मिक रूप से विकसित करने का एक संपूर्ण गाइड माना जाता है।

योगसूत्र नामक दर्शन योग के इतिहास का सबसे पुराने ग्रंथों में से एक है। योग के प्रति शब्द के भिन्न-भिन्न मत है। कुछ लोगों का मानना है कि जबसे सभ्यता की शुरुआत हुई तब से लोग योग कर रहे हैं। हजारों साल पहले इसकी उत्पत्ति हो चुकी है। धर्म या आस्था का जब जन्म हुआ उससे काफी पहले ही योग की उत्पत्ति हो चुकी थी।

योग विद्या में शिव को गुरु माना जाता है। हिमालय के कांति सरोवर झील के तटों पर आदि योगी ने कई हजार वर्ष पहले अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सात ऋषि यों को प्रदान किया था। सातों ऋषि यों ने मिलकर इस ताकतवर योग विज्ञान को दुनिया के विभिन्न भागों में पहुंचाया। योग करते हुए पितरों के साथ सिंधु सरस्वती घाटी सभ्यता के अनेक जीवाश्म, अवशेष एवं मोहरे भारत में योग की मौजूदगी का प्रमाण देती है।

लोक परंपराओं के अंतर्गत आने वाले वैदिक उपनिषद की विरासत तथा सिंधु घाटी सभ्यता, बौद्ध एवं जैन, परंपराओं दर्शनों महाभारत कथा रामायण जैसे महाकाव्यों में, वैष्णो की आस्तिक परंपरा तथा तांत्रिक परंपराओं में भी योग के दर्शन मिलते हैं। वैदिक काल में सूर्य को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। शायद इसीलिए सूर्य नमस्कार को उन्होंने योग में शामिल किया।

योग के नियम क्या है? ( Rules of Yoga )

वास्तव में योग करना काफी सरल है किंतु अगर आप योग के कुछ नियम को फॉलो करते हैं तो यकीनन आप इसका पूरा लाभ ले पाएंगे। योगासन करने के समय तथा उससे पहले आपको नीचे दिए गए नियमों का पालन करना जरूरी है-

  1. अगर नियम के अनुसार योग करेंगे तो सूर्योदय से पहले तथा सूर्यास्त के बाद योग करना अच्छा माना जाता है। सुबह जल्दी उठकर योग करने से अधिक फायदा होता है।
  2. किसी प्रशिक्षित व्यक्ति के निर्देशन में ही योग अभ्यास करना चाहिए।
  3. योग करने से पहले स्नान जरूर करना चाहिए, इससे शरीर के छोटे-छोटे छिद्र खुल जाते हैं।
  4. योगासन से पहले शरीर को फुर्ती बनाने के लिए हल्का वार्म-अप जरूर करें।
  5. योग की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से ही करनी चाहिए।
  6. योग खाली पेट करना चाहिए। अगर आपने कुछ खा भी लिया है तो खाने के 2 घंटे बाद ही योगासन करना चाहिए।
  7. योग के लिए आरामदायक कपड़े पहनने चाहिए। टाइट कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
  8. शरीर के साथ मन भी साफ होना चाहिए इसीलिए अगर आप योग कर रहे हैं तो सारे बुरे ख्याल अपने मन से बाहर निकाल दें।
  9. योग के लिए किसी साफ वातावरण और साफ जगह का ही चुनाव करें ताकि आपका पूरा ध्यान आपके योगाभ्यास पर ही केंद्रित हो और नकारात्मक विचार दूर रहे।
  10. योग का अभ्यास निरंतर धैर्य और दृढ़ता के साथ करें। इसके परिणाम आपको कुछ दिनों के बाद महसूस होने लगेंगे।
  11. पहली बार योगासन करने वाले लोगों को योग प्रशिक्षक के देखरेख में ही हल्के योग करना चाहिए।
  12. शाम को भोजन करने के बाद 2 से 3 घंटे के बाद ही योगाभ्यास शुरू करें।
  13. अपने नियमित योग को खत्म करने के बाद तुरंत नहीं नहाना चाहिए बल्कि योग करने के आधे से 1 घंटे के बाद नहाना चाहिए।
  14. योग को बिल्कुल आराम और धैर्य के साथ करें। आप किसी भी आसन को करने में ज्यादा जोर ना लगाएं। अपनी क्षमता के अनुसार ही योग करें।
  15. योग की लगभग सभी आसन सांस लेने और छोड़ने पर निर्भर करता है। इसके लिए इसका प्रशिक्षण ले ले फिर खुद से करें।
  16. अगर आप बीमार या गर्भवती महिला हैं तो योग को डॉक्टर की देखरेख में ही करें।
  17. हमेशा प्राणायाम को आसन के अभ्यास के बाद करें इससे मन को शांति मिलती है।
  18. अगर योग के दौरान आपको कोई तकलीफ हो रही हो तो योग को तुरंत रोक दें।
  19. योगाभ्यास के अंत में स्वसन करें इससे मन शांत होता है।

योगाभ्यास की मुद्राएं ( postures of yoga practice )

योग में बहुत सारी मुद्राएं हैं किंतु जो प्रमुख मुद्रा है वह इस प्रकार है-

स्थाई योग ( Permanent Yoga )

कती चक्रासन
त्रिकोणासन
वीरभद्रासन
उत्कटासन
पश्चिम नमस्कार आसन
गरुड़ासन
वृक्षासन
प्रसारिता पद्मासन
अर्ध चक्रासन
हस्त पद्मासन
कोणासन प्रथम
कोणासन द्वितीय

बैठकर करने वाले योग ( Seated yoga )

पूर्वोत्तानासन
जनू सिरसाना
पश्चिमोत्तानासन
अर्धमत्स्येंद्रासन
बद्ध कोणासन
मजरिसाना
पद्मासन
शिशुआसना
एका पादा राजा कपोतसाना
गोमुखासन
वज्रासन
चौकी चलनसाना

पेट के बल लेटकर करने वाले योग ( Lying on stomach yoga )

भुजंगासन
धनुरासन
विपरीता सलभाषण
ऊर्धवामुख स्वासना
शलभाषण
विपरीत शलभासन
मकर अधोमुख स्वासन
वशिष्ठ आसन
अधोमुख स्वासना

पीठ के बल लेटकर करने वाले योग ( Back poses )

नोकोशन
शीर्षासन
नटराज आसन
हलासन
पवनमुक्तासन
मत्स्यासन
सेतुबंध आसन
सर्वांगसन
विष्णु आसन
शवासन

योग करने का सही समय क्या है?

योग को ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे फायदेमंद माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्योदय से पहले माना जाता है। योग करने का सही समय सूर्योदय से पहले तथा सूर्यास्त के बाद है। सूर्योदय के पहले प्रतिदिन नहा धोकर योग करने से कुछ ही दिनों में योग के सारे फायदे आपको नजर आने लगेंगे।

सूर्योदय से पहले खाली पेट नहा धोकर योग करना शास्त्रों में सबसे अच्छा माना गया है। अगर आपके पास समय नहीं है और आप सूर्यास्त के बाद योग करना चाहते हैं तो योग करने के आधे घंटे के बाद ही रात्रि का खाना खाएं। आप दिन के किसी भी समय हल्के-फुल्के योग कर सकते हैं लेकिन याद रहे खाना खाने के 2 घंटे के बाद ही योग करें।

योगाभ्यास करने के लिए आवश्यक चीजें क्या क्या है?

ऐसे तो योग को आप कहीं भी बैठकर कर सकते हैं लेकिन फिर भी इसे करने के लिए आपको कुछ चीजों की जरूरत होगी जो नीचे दी गई है-

  • योग के दौरान पहनने वाले कपड़े आरामदायक होना चाहिए जिससे आपको योग में किसी तरह की परेशानी ना हो।
  • आरामदायक साफ चटाई
  • साफ पीने की पानी का बोतल
  • अगर जरूरी लगे तो तोलिया भी रख सकते हैं ताकि पसीना पोछा जा सके।
  • महिलाएं साथ में बालों को बांधने वाले क्लिप्स रख सकते हैं ताकि योग करते समय आपको परेशानी ना हो।
  • योग के शुरुआती दिनों में कुछ लोगों को कमर दर्द या किसी प्रकार की दिक्कत हो तो अपने ट्रेनर की सलाह पर बेल्ट या ब्लॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जो भी कमरा आप योग करने के लिए उपयोग करते हैं वह साफ सुथरा और स्वच्छ होना चाहिए।

योगासन के लिए कुछ टिप्स और सुझाव-

  1. अपने योग शिक्षक का चयन बिल्कुल सोच समझ कर करें
  2. योग के दौरान अपने चेहरे पर हमेशा हल्की मुस्कान रखें इससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  3. सांस को नाक से लेकर मुंह से छोड़ें।
  4. सांस कब लेना है और कब छोड़ना है इसकी अवस्था का ज्ञान होना जरूरी है।
  5. पद्मासन और सुखासन के दौरान अपने कमर को बिल्कुल सीधा रखें।
  6. अपनी इच्छा अनुसार योग करें। योग के दौरान अपने शरीर के साथ जबरदस्ती ना करें।
  7. नियमित योग से ही आपके शरीर में लचीलापन आएगा। इसीलिए इसका अभ्यास प्रतिदिन नियमित रूप से करें।
  8. दूसरों की देखा-देखी योग ना करें। हर व्यक्ति के शरीर की अपनी-अपनी सीमा होती है।
  9. अगर शरीर को स्वस्थ रखना है तो योग के साथ संतुलित भोजन भी करें।
  10. योग शुरू करने से पहले किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की सलाह जरूर लें। याद रहे गलत योग करने से आपको फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।

नोट : योग की शुरुआत अच्छे योग टीचर की निगरानी में करें। वे आपकी क्षमता के अनुसार आपको योग करने के लिए उपयुक्त आसन बताएंगे।

अच्छे योगाभ्यास के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

  • बीमारी या गर्भावस्था के दौरान अगर आप योग करना चाहते हैं तो इसको किसी डॉक्टर की देखरेख में ही करें।
  • मासिक धर्म के दौरान अगर आप योग करने में अपने आप को सक्षम मानती हैं तभी आप योग करें।
  • खाने पीने में संयम रखें। ज्यादा तेल और मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।
  • 10 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों को हल्के आसन करना चाहिए। इसे भी किसी योग शिक्षक के निर्देशन में ही करें।
  • अगर आप धूम्रपान आदि के लत से ग्रसित हैं तो योग के दौरान ही इसे छोड़ने का संकल्प लें। यह एक बुरी आदत है।
  • व्यायाम के साथ आप पौष्टिक आहार लें, साथ ही नींद भी पूरी लें। नींद शरीर के लिए बहुत जरूरी है इसलिए समय सोएं।

योगासन के फायदे

कायोग तीन स्तरों पर कार्य करते हुए हमें फायदा पहुंचाता है, इसीलिए योग सभी के लिए जरूरी है।

पहला चरण : इस चरण में योग मनुष्य को स्वास्थ्य के साथ ऊर्जा प्रदान करता है।

दूसरा चरण : इस चरण में योग मस्तिष्क तथा विचारों पर असर डालता है। नकारात्मक विचार हमारे शरीर को तनाव चिंता तथा मानसिक बीमारियों से ग्रसित कर देता है। योग इस चक्र से हमें बाहर निकालने में हमारी मदद करता है।

तीसरा चरण : इस चरण में पहुंचकर मनुष्य चिंताओं से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। योग की अंतिम चरण तक पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा योग के लाभ निम्न बिंदुओं के आधार पर समझ सकते हैं-

  • योग मांसपेशियों की ताकत कई गुना बढ़ा देता है।
  • शरीर में लचीलापन आता है।
  • हड्डियों को मजबूत और ताकतवर बनाता है।
  • अस्थियों तथा उपास्थियों को टूटने से बचाता है।
  • शरीर के शारीरिक दक्षता को बढ़ाता है।
  • योग रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है।
  • अधिवृक्क ग्रंथियों को भी यह नियंत्रित करता है।
  • ब्लड में शुगर की मात्रा कम करता है।
  • ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
  • आंतरिक शक्ति के साथ-साथ मजबूती प्रदान करता है।
  • आपके सेल्फ कॉन्फिडेंस को बढ़ाता है।
  • मन को शांति मिलती है।
  • योग दर्द को मिटाता है।
  • आपकी नींद गहरी और अच्छी होती है।
  • तंत्रिका तंत्र को बिल्कुल स्वस्थ रखता है।
  • अंगों में होने वाले तनाव दूर करता है।
  • जीवन की पहली बिल्कुल बदल जाती है।
  • नकारात्मक विचार का पतन होता है।
  • आपको खुश और तरोताजा बनाए रखता है।
  • यह हृदय गति को भी नियंत्रित रखता है।
  • योग प्रतिरक्षा शक्ति को भी बढ़ाता है।
  • यह अस्थमा, रक्तचाप गठिया, मधुमेह और पाचन संबंधी बीमारियों की चिकित्सा में वरदान साबित होता है।
  • योग बुरी आदतों को भी खत्म कर देता है।
  • योग अध्यात्म की ओर ले जाता है। इसका अनुभव आपको योग करने की कुछ समय पश्चात होगा।

योग के नुकसान

अगर आप नियमित रूप से योग करते हैं तो योग आपको शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूपों में स्वस्थ रखता है। ये तो सबको पता है लेकिन अगर आप सही योग ना करके गलत तरीके से योग करते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसे आप इस तरह समझिए-

  1. अपनी शरीर की क्षमता से अधिक योगाभ्यास करना शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि आवश्यकता से अधिक योग करने से शरीर गर्म हो जाती है। जिसके कारण शरीर में इलेक्ट्रोलाइट और सोडियम का स्तर कम हो जाता है और आप को चक्कर थकान या अत्यधिक कमजोरी महसूस होने लगती है।
  2. प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की अपनी सीमा होती है। योगाभ्यास के दौरान शरीर के मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जो बहुत सारे लोगों के शरीर के लिए नुकसानदायक है। हमारे शरीर में जितनी खिंचाव होगी उससे अगर ज्यादा जोर दिया जाए तो शरीर की मांसपेशियां ज्यादा खींच जाएगी जिसके कारण दर्द भी शुरू हो सकता है। ऐसी समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए नहीं तो इससे लकवा ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
  3. योगाभ्यास के दौरान शारीरिक खींचाव या चोट को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मांसपेशियों के फटने, हर्नियाटेड डिस्क कथा कार्पल की परेशानी भी हो सकती है। कुछ योगासनों में हाथों पर अधिक बल पड़ता है जिससे कोहनी, कलाई तथा कंधों में दर्द की शिकायत होती है।

इन बातों को ध्यान में रखकर योग करें तो आपको फायदे होंगे।

निष्कर्ष

योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जहां शरीर, मन तथा आत्मा का मिलन होता है। योगी अपनी सीमा है। योग शरीर के लिए बहुत लाभदायक है किंतु अगर इसे गलत तरीके से किया जाए तो यह नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। योग का इतिहास लाखो वर्ष पुराना है। महर्षि पतंजलि की योगसूत्र नामक दर्शन योग भावनाओं को नियंत्रित करने का तथा आध्यात्मिक रूप से विकसित करने का संपूर्ण गाइड माना जाता है। योग है तो इंसान निरोग है।

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