Is it possible to hack EVM : विपक्ष में चाहे कोई भी हो चुनाव का मौसम आते ही ईवीएम फ्रॉड का मुद्दा खूब भुनाया जाता है। यूपी चुनाव 2022 में भी नतीजों से पहले समाजवादी पार्टी ने ईवीएम का मुद्दा उठाया है और बीजेपी पर भी कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं। चलिए आज की इस Article में जानते हैं क्या होता है ईवीएम की चोरी करना (Is it possible to hack EVM) और क्या वाकई ऐसा हो सकता है।
क्या Evm हैकिंग संभव है? (Is it possible to hack EVM)
जिस प्रकार हमारी मोटरसाइकिल या कार का एक ही नंबर होता है वैसे ही हर एक ईवीएम का भी नंबर पूरे देश में एक ही होता है। ईवीएम का निर्माण भेल (BHEL) कंपनी की ओर से किया जाता है।
इसको बनाने से लेकर रखरखाव तक की पूरी व्यवस्था ऐसी है कि इसे बदलना या चुराना किसी रिजर्व बैंक को लूटने से भी ज्यादा कठिन है।
मत और अधिकतम प्रत्याशियों की संख्या
एक ईवीएम (EVM) में अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नामों को ही अंकित किया जा सकता है और एक मशीन में अधिकतम 3840 वोट ही दर्ज किए जा सकते हैं।
अगर किसी चुनाव क्षेत्र में 64 से अधिक उम्मीदवार होते हैं तो ऐसी स्थिति में आज भी पारंपरिक तरीके से यानी कि मतपत्र से चुनाव होता है।
Unique EVM Number
हर ईवीएम का यूनिक नंबर (Unique EVM Number) होता है। एक नंबर के पूरे देश में दो ईवीएम नहीं हो सकते। एक राज्य से दूसरे राज्य और जिले से दूसरे जिले को जब ईवीएम भेजा जाता है तो उसका नंबर भारत निर्वाचन आयोग के पास रिकॉर्ड होता है।
जिला मुख्यालय में ईवीएम आने के बाद राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भेल के इंजीनियर तकनीकी जांच करते हैं। जांच में खराब पाई जाने वाली ईवीएम भेल के वेयरहाउस में चली जाती है।
Reserve EVM for Training
कुल ईवीएम का 25 फ़ीसदी प्रशिक्षण के लिए रिजर्व रखा जाता है। इसके बाद भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से प्रतिनियुक्त ऑब्जर्वर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, डीएम तथा संबंधित निर्वाचन अधिकारी की उपस्थिति में ईवीएम का फर्स्ट रेडमाइजेशन किया जाता है।
रेडमाइजेशन यानी की तार के पत्तों की तरह ईवीएम को मिलाना जिससे उसको अलग से पहचाना ना जा सके, की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
EVM in Strong Room
इसके बाद स्ट्रांग रूम में ईवीएम को स्टॉक कर रख दिया जाता है। चुनाव से 72 घंटे पहले एक बार फिर उक्त सभी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें से 10 परसेंट रिजर्व रखा जाता है।
सेकंड रेडमाइजेशन के दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साथ सभी प्रत्याशियों के एजेंट, विधानसभा बोर ऑब्जर्वर, निर्वाचन अधिकारी, डीएम, केंद्रीय अर्धसैनिक बल की उपस्थिति में स्टैटिक मजिस्ट्रेट को पोलिंग के लिए ईवीएम दिया जाता है।
किस नंबर का ईवीएम किस बूथ पर गया है इसकी सूची प्रत्याशियों के एजेंट को भी उपलब्ध कराई जाती है। इसकी कॉपी ऑब्जर्वर के माध्यम से चुनाव आयोग तक भेजी जाती है।
Surveillance of Security Forces
सुरक्षाबलों की निगरानी में स्टैटिक मजिस्ट्रेट बुध तक ईवीएम पहुंचाते हैं। किस ईवीएम में कितना वोट पड़ रहा है इसका रिकॉर्ड पीठासीन अधिकारी के माध्यम से पोलिंग एजेंट के साथ साथ आब्जर्वर तक को उपलब्ध कराया जाता है।
पोलिंग के बाद सुरक्षाबलों की निगरानी में स्टैटिक मजिस्ट्रेट स्ट्रांग रूम में ईवीएम जमा करवाते हैं। स्ट्रांग रूम में ईवीएम नंबर के आधार पर प्रत्येक ईवीएम के लिए अलग-अलग खाचा तैयार रहता है।
Four Layer Security of EVM
नंबर के आधार पर उसी खाचा में ईवीएम को सुरक्षित रखा जाता है। स्ट्रांग रूम की सुरक्षा 4 लेयर में होती है। सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को होती है। स्ट्रांग रूम को सील कर रखा जाता है।
अब कई स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी भी लगाया जा रहा है मतगणना के दिन स्ट्रांग रूम का सील ऑब्जर्वर की उपस्थिति में ही तोड़ा जाता है। काउंटिंग के लिए पूर्व से निर्धारित क्रमवार खाचा से ईवीएम निकाला जाता है।
ईवीएम का नंबर तथा उस में डाले गए कुल मत का मिलान प्रत्याशियों के काउंटिंग एजेंट के समक्ष किया जाता है। ऐसे में बचाव और सुरक्षा के इतने चैनल पार करने के बाद भी कोई ईवीएम बदल सकता है या चोरी कर सकता है जो बिल्कुल असंभव (Is it possible to hack EVM) जैसा है।
अंत में दो शब्द (Is it possible to hack EVM)
लेकिन फिर भी इस चुनाव में विपक्ष की तरफ से चुनाव आयोग और सत्ता पर बैठी सरकार पर ईवीएम हेराफेरी के आरोप लगते आए हैं। जैसा कि इस वक्त उत्तर प्रदेश के चुनाव में देखने को भी मिल रहा है।
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