Yati Narsinghanand Sarswati : डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ( Yati Narsinghanand Sarswati ) पिछले 20 वर्षों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू धर्म व संस्कृति को बचाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं। इन्होंने हिंदू धर्म को बचाने के लिए पिछली सपा सरकार से कई लड़ाइयां लड़ी है। आज वे अपने विवादों के कारण काफी चर्चा में है।
आइए आज आपको हम महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती Biography बताऊंगा, साथ में यह भी बताऊंगा कि आखिर यह इतने विवादों में क्यों रहते हैं।
Yati Narsinghanand Sarswati Biography, Personal Life
महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के डासना देवी मंदिर का महंत है। देश के टुकड़े करने वालों की आंखों में यह अक्सर चुभते हैं। वामपंथी इनकी आवाज को हिंदुओं की एकजुटता के रूप में देखते हैं।
यति नरसिंहानंद सरस्वती का जन्म
यति नरसिंहानंद सरस्वती का जन्म 2 मार्च 1963 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता रक्षा मंत्रालय में कार्यरत थे। लेकिन आजादी से पहले वह कांग्रेस में शामिल थे। उनकी मां एक ग्रहणी थी।
Yati Narsinghanand Sarswati Education
अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद यति नरसिंहानंद सरस्वती Education आगे की पढ़ाई करने के लिए रूस चले गए। रूस में इनकी कहानी भी अजीब है। अपने हिंदूवादी छवि के कारण उन्हें वहां सब कोई पसंद करते थे। बचपन से ही इनके अंदर हिंदुत्व सिर चढ़कर बोलता था। रूस में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे लंदन चले गए।
लंदन में बहुत दिनों तक उन्हें काम करने का अनुभव प्राप्त हुआ। फिर मास्को के लिए रवाना हुए और वहां भी उन्होंने काम किया। उन्होंने एक बार कहा था कि उन्होंने उस वक्त मॉस्को इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल मशीन बिल्डिंग में मास्टर की डिग्री ली थी।
उसके बाद वहां उन्होंने बतौर इंजीनियर के रूप में काम किया था। विदेश में दशकों गुजारने के बाद को 1997 में भारत लौटे। भारत लौटने के बाद वे गणित के शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाने लगे। उनका गणित काफी मजबूत है क्योंकि ऑल यूरोप ओलंपियाड में उन्हें गणित का विजेता घोषित किया गया था।
Yati Narsinghanand Sarswati Career
उन्होंने सोचा कुछ बड़ा करने के लिए कुछ बड़ा बनना पड़ेगा। फिर उन्होंने राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया। इनका हिंदू मुसलमान के विवादों से पुराना नाता है। कई बार इन्होंने मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या पर भी खुलकर बात किया था। वे त्यागी जाति से आते हैं।
अगर हिंदुओं में कुछ कहासुनी हो जाती है तो वह उनका निपटारा आपस में ही करा देते हैं। आपको दिल्ली का ध्रुव त्यागी तो याद ही होगा। किस प्रकार अपनी बेटी की छेड़खानी का विरोध करने पर कुछ मुसलमान लड़कों ने उसे जान से मार डाला था।
तब भी यह उनकी इंसाफ के लिए लड़े थे। एक बार यादव और गुर्जरों के बीच बड़ी संघर्ष हो गई थी। तब यति नरसिंहानंद सरस्वती ने ही लोगों को समझाया था कि यादव और गुर्जर एक मां के दो संतान है।
ऐसे लड़ने से हमारा हिंदुत्व कमजोर होगा और इसका फायदा हिंदू विरोधी ताकतों को मिलेगा। तब तत्कालीन सपा सरकार ने उनके लिए है अरेस्ट वारंट जारी कर दिया था। लेकिन उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट से स्टे आर्डर ले लिया।
निष्कर्ष/Conclusion
अपने विवादों में रहने के कारण उन्हें कई बार कानून से लड़ाई लड़ना पड़ा। लेकिन उन्होंने जो हिंदुत्व के लिए किया, हिंदू समाज उसका सदैव आभारी रहेगा।
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