Munawwar Rana biography in Hindi | मुनव्वर राणा की जीवनी

Munawwar Rana biography in Hindi ( मुनव्वर राणा की जीवनी )

कहते हैं कवियों की अलग ही दुनिया होती है। उनके द्वारा कही गई कड़वी बातों में भी कविता ही झलकती है और लोग इसे बुरा भी नहीं मानते। एक कवि द्वारा कविता के माध्यम से की गई बात लोगों को सुनने में बहुत आनंद आता है। हर कोई शायर नहीं बन सकता हर कोई कवि नहीं बन सकता। ऐसा ही एक फनकार हमारे बीच है जिनकी रचना इतनी खूबसूरत होती है की लोग उन्हें सुनने के लिए लालायित रहते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं मशहूर कवि और शायर मुनव्वर राणा की। मुनव्वर राणा पेसे से शायर और लेखक हैं। जहां एक तरफ वे साहित्य की दुनिया में लोकप्रिय है वहीं दूसरी तरफ विवादों से उनका पुराना नाता है। उनकी रचना लोगों को बहुत पसंद आती है।

आज इस आर्टिकल में मैं आप लोगों को मशहूर शायर और लेखक मुनव्वर राणा की जीवनी ( Munawwar Rana biography in Hindi ) के बारे में बताऊंगा। साथ ही उनकी उम्र, परिवार, शिक्षा, करियर, उपलब्धियां, रचनाएं तथा मुनव्वर राणा से जुड़ी विवाद के बारे में संपूर्ण जानकारी दूंगा।

मुनव्वर राणा क्यों है चर्चा में [ Munawwar Rana Latest News ]

Munawwar Rana का विवाद अपने भाई से जमीन को लेकर चल रहा है। जिसके कारण देर रात उनके घर पर पुलिस की छापेमारी हुई। मुनव्वर राना के बेटे तबरेज से पूछताछ के लिए पुलिस पहुंची थी। दरअसल रायबरेली में तबरेज के ऊपर कुछ दिनों पहले हमला हुआ था। जिसकी पूछताछ के लिए पुलिस उनके घर पहुंची थी। जिसके बाद यह मामला और उलझता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल पुलिस का कहना है कि मुनव्वर राणा के बेटे ने अपने चाचा और चचेरे भाई को फसाने के लिए खुद पर हमला करवाया। मुनव्वर राणा का कहना है कि उनके साथ पुलिस वालों ने बदतमीजी की उनकी बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसकी जांच अभी चल रही है।

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वास्तविक नाममुनव्वर राणा
व्यवसायकवि शायर और लेखक
जन्म26 नवंबर 1952
उम्र69 वर्ष 2021 के अनुसार
पिता का नामअनवर राणा
माता का नाम आयशा खातून
जन्म स्थानरायबरेली उत्तर प्रदेश
गृह नगररायबरेली उत्तर प्रदेश
वर्तमान निवासलखनऊ, उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म इस्लाम
राशि धनु
लंबाई167 Cm
1.67 m
5′ 7″ feet
वजन 87 किलोग्राम
आंखों का रंगहल्का भूरा
बालों का रंगहल्का सफेद
प्राथमिक शिक्षाकोलकाता में हुआ
उच्च शिक्षाज्ञात नहीं।
शैक्षणिक योग्यताज्ञात नहीं।
शौकबचपन में कुश्ती, संगीत सुनना, समाचार सुनना
पसंदीदा शायरशंभू शिखर और राहत इंदौरी साहब
पसंदीदा शहर लखनऊ
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पत्नी अदीबा राणा
बेटियां 5 बेटियां है ( बड़ी सुमैया राना उससे छोटी उजमा राणा )
भाई ज्ञात नहीं
बहन ज्ञात नहीं

मुनव्वर राणा का प्रारंभिक जीवन [ Munawwar Rana Early Life ]

Munawwar Rana एक मशहूर शायर और लेखक हैं। उनका जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली शहर में हुआ था। रायबरेली उत्तर प्रदेश का एक जिला और लखनऊ डिवीजन का एक पार्ट है। मुनव्वर राणा के पिता का नाम अनवर राणा तथा माता का नाम आयशा खातून है। अनवर राणा भी अपने जमाने के मशहूर लेखक और साहित्यकार थे। विभाजन के दौरान उनके परिवारिक सदस्य और रिश्तेदार अपने मुल्क को छोड़कर पाकिस्तान चले गए।

लेकिन मुनव्वर राणा के पिता ने अपने देश की मिट्टी को ही स्वीकार किया और भारत में ही रहने का फैसला किया। मुनव्वर राणा का जन्म रायबरेली में हुआ लेकिन उनका शुरुआती जीवन कोलकाता में व्यतीत हुआ। जब मुनव्वर राना छोटे थे तब उनका पूरा परिवार कोलकाता में रहते थे। उनकी शिक्षा भी कोलकाता से ही पूरी हुई। इसके बाद उनका पूरा परिवार लखनऊ में रहने लगे। लखनऊ उनका पसंदीदा शहर है।

मुनव्वर राणा की शिक्षा [ Munawwar Rana Education ]

उत्तर प्रदेश में जन्मे Munawwar Rana का अधिकांश समय कोलकाता में व्यतीत हुआ। इसीलिए उनकी आरंभिक पढ़ाई भी कोलकाता से हुई। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव नक्सलवाद की तरफ बढ़ने लगा। नक्सलियों के बारे में जानना तथा उनके जैसा बनने के ख्याल उनके मन में आने लगे। यह बात उनके पिता को जैसे ही पता चला उन्होंने अपने बेटे को घर से बेदखल कर दिया।

करीब 3 साल घर से बाहर रहने के बाद वे पुनः घर लौट आए। इन 3 सालों को उन्होंने कैसे जिया उसका एक संस्मरण उन्होंने एक लेख के माध्यम से बताया है। मुनव्वर राणा की उच्च शिक्षा का अभी तक स्पष्ट रूप से कोई प्रमाण नहीं मिला है। अगर कोई प्रमाण मिलती है तो मैं आप लोगों के साथ साधा जरूर करूंगा।

मुनव्वर राणा का करियर [ Munawwar Rana Career ]

Munawwar Rana की ख्याति सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। उनकी प्रसिद्धि और लोकप्रियता को आप इस अंदाज में माप सकते हैं की उनकी रचनाएं कई भाषाओं में प्रकाशित किए जा चुके हैं। अपनी बेहतरीन रचनाओं के कारण उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है। लगभग उनकी हर रचना गजलों के स्वरूप में होती है। कविता के साथ उन्होंने लेखन के क्षेत्र में भी अपने आप को एक जगह पर स्थापित किया है।

मुनव्वर राणा ने खुद के जीवन पर एक लेख लिखें हैं। साथ ही उन्होंने अपने जीवन पर बहुत सारी कविताएं लिखी हैं। एनआईटी इलाहाबाद में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2012 में उन्होंने अपनी कविता का एक अंश प्रस्तुत किया था। उन्होंने गजल को भी एक नया आयाम दिया। उनकी कविता लिखने का अंदाज सबसे हटकर होता है। उनकी कविताएं मां पर केंद्रित होती है। यही बात मां के प्रति उनके प्यार को दर्शाता है।

मुनव्वर राणा की उपलब्धियां, पुरस्कार एवं सम्मान [ Achievements ]

Munawwar Rana जिस सम्मान के हकदार थे उन्हें वह सम्मान उसी प्रकार से मिला। उन्होंने अपने दक्षता से कई सारे पुरस्कारों को अपने नाम किया। इनके पुरस्कार और सम्मान इस प्रकार हैं-

  • वर्ष 1993 में उन्हें रायबरेली में रईस अमरोहवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • इसके ठीक 2 वर्ष बाद साल 1995 में उन्हें दिलकुश पुरस्कार सम्मानित किया गया।
  • साल 1997 में उन्हें सलीम जाफरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2004 में उन्हें सरस्वती सम्मान पुरस्कार से नवाजा गया।
  • 2005 जब उन्हें मीर ताकि मीर पुरस्कार से नवाजा गया। उसी वर्ष उन्हें उदयपुर में ग़ालिब पुरस्कार, नई दिल्ली में जाकिर हुसैन पुरस्कार तथा कोलकाता में सऊद आलम अफकूफी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2006 में उन्हें इटावा में अमीर खुसरो पुरस्कार तथा इंदौर में कविता का कबीर सम्मान से नवाजा गया था।
  • पश्चिम बंगाल के उर्दू अकादमी के तत्वाधान में वर्ष 2011 में उन्हें मौलाना अब्दुल रज्जाक मलीहाबादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 2012 में उन्हें ऋतुराज पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2014 में उन्हें उर्दू साहित्य के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। जिन्हें 18 अक्टूबर 2015 को उन्होंने सरकार को वापस कर दिया। इस विवाद के कारण उन्होंने भविष्य में कभी सरकार द्वारा सम्मानित किया गया पुरस्कार न ग्रहण करने का संकल्प लिया।
  • इसके अलावा उन्हें कबीर पुरस्कार, भारती परिषद पुरस्कार, बजमें सुखन पुरस्कार, इलाहाबाद प्रेस क्लब पुरस्कार, सरस्वती समाज पुरस्कार, अदब पुरस्कार, मीर पुरस्कार, हजरत अलमास शाह पुरस्कार, हुमायूं कबीर पुरस्कार, मौलाना अबुल हसन नदवी पुरस्कार तथा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

Munawwar Rana पुरस्कार और सम्मान एक नजर में-

पुरस्कार और सम्मान वर्षस्थान
रईस अमरोहवी1993 रायबरेली
1995 उपलब्ध नहीं है।
सलीम जाफरी1997 उपलब्ध नहीं है
सरस्वती सम्मान2004 उपलब्ध नहीं है।
मीर तारकी मीर2005 उपलब्ध नहीं है।
गालिब पुरस्कार2005 उदयपुर
जाकिर हुसैन पुरस्कार2005 नई दिल्ली
सऊद आलम अफ बेवकूफी2005 कोलकाता
अमीर खुसरो2006 इटावा
कविता का कबीर2006 इंदौर
मौलाना अब्दुल रज्जाक मलीहाबादी2011 पश्चिम बंगाल
ऋतुराज2012 उपलब्ध नहीं है।
साहित्य अकादमी2014 उपलब्ध नहीं है।
कबीर उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध नहीं है।
भारतीय परिषद पुरस्कारउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
बज्मे सुखनउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
इलाहाबाद प्रेस क्लबउपलब्ध नहीं है।
सरस्वती समाजउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
अदबउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
अमीरउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
हजरत अल्माश शाहउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
हुमायूं कबीरउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
मौलाना अबुल हसन नदवीउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।
उस्ताद बिस्मिल्ला खानउपलब्ध नहीं है।उपलब्ध नहीं है।

मुनव्वर राणा की प्रमुख रचनाएं..

Munawwar Rana की रचनाएं कई भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। उनके दर्जनभर रचनाएं अब तक प्रकाशित हो चुकी है। उनकी प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार है-

  • मां
  • गजल गांव
  • पीपल छांव
  • बदन सराय
  • नीम के फूल
  • सब उसके लिए
  • घर अकेला हो गया
  • कहो जिल्ले इलाही से
  • बगैर नक्शे का मकान
  • फिर कबीर
  • नहीं मौसम के फूल

[ पुरस्कार एवं सम्मान तथा प्रमुख रचनाएं Source : Wikipedia ]

मुनव्वर राणा का परिवार [ Munawwar Rana Family ]

Munawwar Rana के माता-पिता के अलावा उनकी पत्नी तथा उनके 6 बच्चे हैं। उनकी पत्नी का नाम अदीबा राणा है जो एक गृहनी है। मुनव्वर राणा का एक बेटा तबरेज राणा तथा उनकी पांच बेटियां है। बड़ी बेटी का नाम सुमैया राणा तथा उससे छोटी उजमा राणा है। मुनव्वर राना के चार भाई तथा तीन बहने हैं। इस प्रकार से मुनव्वर राणा का एक भरा पूरा परिवार है।

मुनव्वर राना विवाद [ Munawwar Rana Controversy ]

Munawwar Rana और विवादों का पुराना नाता है। विवादों के कारण उन्हें कई बार सोशल मीडिया में लोगों के आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा।

  1. साल 2015 को जब दादरी की घटना हुई तब उन्होंने एक विवादास्पद वक्तव्य दिए थे। उन्होंने यह वक्तव्य गजल के स्वरूप में दिए थे। उनका वक्तव्य कुछ इस प्रकार है ऐसे थे- “लगाया था पेड़ भक्तों ने जो कभी, वो पेड़ फल देने लग गए। मुबारक हो हिंदुस्तान में, अफवाहों से कत्ल होने लग गए” । इस नज्म पर उन्हें सोशल मीडिया में कड़ी आलोचनाएं झेलनी पड़ी। हालांकि उन्होंने इस नज़्म को लेकर खंडन किया है। उनका कहना है कि ना ही मेरे द्वारा इस तरह के कोई वक्तव्य दिए गए और ना ही मैं ऐसा सोच सकता हूं।
  2. वर्ष 2015 में, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे तब अवार्ड वापस करने का एक सिलसिला चल रहा था। उस दौरान मुनव्वर राना में भी अपने साहित्य अकादमी पुरस्कार को वापस कर दिया। इसके बाद उन्होंने सरकार द्वारा भविष्य में दिया जाने वाला किसी भी सम्मान या पुरस्कार लेने से मना कर दिया था। इस विवाद के बाद भी उन्हें सोशल मीडिया में काफी खरी-खोटी सुनने को मिली।
  3. हाल ही में उन्होंने देश के संसद को लेकर एक विवादित ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था- “इस मुल्क के कुछ लोगों को रोटी तो मिलेगी , संसद को गिराकर वहां कुछ खेत बना दो। अब ऐसे ही बदलेगा किसानों का मुकद्दर, सेठों के बनाए हुए गोदाम जला दो। मैं झूठ के बराबर में सच बोल रहा हूं, गर्दन को उड़ाओ मुझे या जिंदा जला दो”। इस ट्वीट के बाद उन्हें सोशल मीडिया में कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोगों ने इसे संवैधानिक स्मृतियों का उल्लंघन बताया।
  4. पिछले वर्ष फ्रांस में हुए विवादित कार्टून मामले में जिस प्रकार उसकी गला काट कर हत्या की गई। उस मामले को मुनव्वर राणा ने सही ठहराया था। इसके लिए उन्होंने मजहब को मां की संज्ञा दी थी। उन्होंने कहा था अगर मां की अगर कोई बुरा कार्टून बनाता है तो गुस्से में आकर वह ऐसा कर सकते हैं। इसमें कोई गलत बात नहीं है। इसके बाद वे सोशल मीडिया में लोगों के निशाने में आ गए और लोगों ने उन्हें आड़े हाथों में ले लिया।
  5. CAA और NRC के प्रोटेस्ट के दौरान उन्होंने भारत में डर लगने की बात कही थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में जुटी हुई है। तब उन्हें सोशल मीडिया में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
  6. राम मंदिर मामले में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर आरोप लगाया था कि अयोध्या मामले में उन्होंने कहीं ना कहीं हिंदुओं के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है। इस पर लोगों ने उन्हें संविधान और कानून को मानने की नसीहत दे डाली।

निष्कर्ष [ The Conclusion ]

Munawwar Rana ने अपने जीवन में काफी प्रसिद्धि हासिल की। दूसरी तरफ उन्हें अपने वक्तव्यों पर कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने कई ऐसे विवादित बयान दिए जो लोगों को पसंद नहीं आया। आज उनकी बेटी सुमैया राणा समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुकी है। उनके परिवार का राजनीति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। लेकिन अब शायद उनका परिवार राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार है। दुआ करूंगा उनका परिवार आने वाली जिंदगी में खुशी-खुशी अपना जीवन बिताए।

उम्मीद करता हूं यह आर्टिकल जिसका शीर्षक है Munawwar Rana biography in hindi अच्छा लगा होगा। मुनव्वर राणा से संबंधित लगभग सभी बातें मैंने आप लोगों के साथ साझा करने की कोशिश की। फिर भी अगर कुछ छूट जाता है तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। जिससे मैं आपके लिए इस आर्टिकल को और अच्छा बना सकूं।

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