Agneepath Yojana : सेना भर्ती में नई प्रक्रिया की जरूरत क्यों पड़ी

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Agneepath Yojana : भारत सरकार अब 17.5 से लेकर 21 साल तक के युवाओं को सेना में जाकर देश सेवा करने का बेहतरीन मौका दे रही है। इसके लिए सरकार ने अग्निपथ योजना की शुरुआत की है। अब आपके मन में भी यह सवाल होगा कि आखिर इस योजना की जरूरत क्या थी? इसका जवाब जानने के लिए आपको इसके पीछे की सोच बताते हैं।

Agneepath Yojana का उद्देश्य

पहला उद्देश्य

Agneepath Yojana से भारतीय सैनिकों की औसत उम्र कम हो जाएगी। सेना में ज्यादा से ज्यादा युवा अपनी सेवाएं दे सकेंगे। जो युवा होते हैं उनकी क्षमता ज्यादा होगी तथा वे ज्यादा प्रोडक्टिव होंगे।

Agneepath yojana
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ज्यादा से ज्यादा सेना में युवाओं को कम करने का अवसर मिलेगा। फिलहाल भारतीय सैनिकों की औसत उम्र 32 वर्ष है, जबकि अमेरिकन सैनिकों की 27 वर्ष तथा ब्रिटिश सैनिकों की 30 वर्ष है।

यानी कि हमारे देश के सैनिकों की औसत उम्र इन देशों कि सैनिकों के तुलना में जाता है। आप कह सकते हैं कि भारतीय सेना अब बुड्ढी हो रही है लेकिन इस योजना की मदद से अगले कुछ वर्षों में भारतीय सैनिकों की औसत उम्र 32 से घटकर 26 वर्ष हो जाएगी।

सेना किसी भी देश के लिए उसकी रीड की हड्डी होती है। अगर यह रीड कमजोर अथवा बूढ़ी हो जाए तो देश अपने दुश्मनों का मजबूती से मुकाबला नहीं कर सकती। इसीलिए देश की सेना में युवाओं को मौका देना एक बहुत ही क्रांतिकारी सोच है।

दूसरा उद्देश्य

दूसरा कारण यह है कि इससे सरकार हथियारों की खरीद पर ज्यादा पैसे खर्च कर पाएगी।

अब तक सरकार अपने रक्षा बजट का आधे से ज्यादा हिस्सा सैनिकों को उनके तनख्वाह और पेंशन पर ही खर्च करना पड़ता था।

यानी कि आधा जो आधा पैसा है वह पेंशन और सैलरी पर ही चला जाता था लेकिन इस योजना के लागू होने से ये खर्च धीरे धीरे कम हो जाएगा क्योंकि इससे पेंशन का खर्च बचेगा।

वर्ष 2020 और 2021 में भारत का रक्षा बजट 4.85 लाख करोड़ रुपए था। उसमें से 28 फ़ीसदी यानी कि लगभग 1.34 लाख करोड रुपए सरकार ने तनख्वाह देने पर खर्च किए।

26 फ़ीसदी राशि यानी कि लगभग 1.28 लाख करोड़ रुपए सरकार ने पेंशन देने में खर्च किए। केवल 27 फ़ीसदी यानी कि 1.31 लाख करोड़ रुपए नए हथियारों को खरीदने के लिए बचे।

आप देखेंगे तो रक्षा बजट का 54 प्रतिशत हिस्सा सैलरी और पेंशन में ही खर्च हो जाते हैं। जिसके कारण सरकार चाह कर भी सेना के आधुनिकीकरण पर ज्यादा जोर नहीं दे पाती है।

लेकिन Agneepath Yojana के बाद इस खर्च को यानी कि जो पेंशन का खर्च है और तनख्वाहों का खर्च है उसे कम किया जा सकेगा। आप कह सकते हैं कि सरकार ने इस योजना के तहत काफी कॉस्ट कटिंग की है।

हमारे देश में अभी सरकार 32 लाख पूर्व सैनिकों को पेंशन देती है। पेंशन का यह खर्च वन रैंक वन पेंशन स्कीम के लागू होने के वजह से काफी बढ़ गया है।

तीसरा उद्देश्य

तीसरी बात इससे हमारे देश में Highly Skilled Worked Force की उपलब्धता बढ़ेगी। हमारे देश में जो सैनिक होते हैं उसमें अनुशासन कूट कूट कर भरा होता है।

लीडरशिप क्वालिटी सीखते हैं इसके अलावा यह सैनिक मुश्किल परिस्थितियों में कैसे काम किया जाता है यह सीखते हैं और यह सब जानते हैं।

सेना का कोई भी जवान हमारे समाज में आकर एक सिविलियन के तौर पर काम करता है तो इससे देश की प्रगति होगी और हाईली स्किल्ड वर्कड फोर्स कि हमारे देश में उपलब्धता बढ़ जाएगी। इस योजना की मदद से हमारी देश की युवा बड़ी संख्या में भारतीय सेना को करीब से देख पाएंगे।

Agneepath बीमा Yojana का लाभ

यह सिर्फ एक नौकरी नहीं है बल्कि देश के हर युवा नागरिक को 4 साल तक देश की रक्षा करने का एक मौका दे रही है। इसके लिए सैनिकों का 1 करोड़ रुपए का बीमा कराया जाएगा, जिसका प्रीमियम खुद सरकार भरेगी।

इसलिए जो बात आपको समझना है वो ये की सेना में कोई भी व्यक्ति नौकरी करने के लिए नहीं जाता बल्कि सेना को हम देश भक्ति के नजरिए से देखते हैं।

सैनिक हमारे रक्षक हैं और सरकार चाहती है कि भारतीय युवा 4 सालों के लिए सेना में आकर देश का रक्षक बने देश की सेवा करें।

फिलहाल दुनिया में में 80 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जहां नागरिकों के लिए सेना में कुछ वर्ष के लिए अपनी सेवाएं देना अनिवार्य है।

इन देशों में सेना में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य है

इनमें दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, रूस, इजरायल, ब्राजील, टर्की, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे देश हैं। इन देशों में 18 से 27 वर्ष के युवाओं को एक निर्धारित समय के लिए सेना में भर्ती होना आवश्यक है अनिवार्य है।

इसके बाद इन्हें रिटायर कर दिया जाता है। ऑस्ट्रिया की सेना में यह अवधि डेढ़ साल की है जबकि इजराइल में हर नागरिक को 3 साल तक सेना में अपनी सेवाएं देनी पड़ती है।

इससे इन देशों को 2 बड़े फायदे हुए हैं पहला इन देशों की सेनाएं दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा युवा है और दूसरा इससे उन देशों को उनके पूर्व सैनिकों को पेंशन देने पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है।

इससे यह डिफेंस रिसर्च और नए हथियारों की खरीद पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं। इसके अलावा कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने सेना में भर्ती के लिए कुछ अलग पॉलिसीज अपनाई है।

अमेरिका में सिर्फ उन्हीं सैनिकों को पेंशन मिलती है जो 20 वर्ष तक सेना में रहते हैं। इसके अलावा अमेरिका में एक ऐसा कानून है जिसके तहत 80% सैनिकों को उनकी सेवा के आठवें साल में ही रिटायर कर दिया जाता है और इन सैनिकों को सरकार कोई पेंशन नहीं है।

भारत सरकार सेना में भारतीयों का जो नया मॉडल लेकर आई है वह काफी हद तक अमेरिकी सेना से मिलता जुलता है।

कई देश ऐसे भी हैं जो कि अब कुछ समय अवधि के लिए ही सैनिकों की भर्ती करते हैं जैसे कि ब्रिटेन में अलग-अलग पदों के लिए 2 से 4 वर्ष के लिए ही सैनिकों की भर्ती की जाती है।

इसके बाद उन्हें एक विशेष पैकेज देकर रिटायर कर दिया जाता है।

आप भी उठाएं अग्नीपथ योजना का लाभ

अगर आपके घर में आपके परिवार में 17 से 21 वर्ष का कोई युवा है या युवती है तो भारत सरकार ने Agneepath Scheme के तहत एक शानदार मौका दिया है।

भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करने का और देश की रक्षा करने का जो मौका होता है वह बहुत किस्मत वाले लोगों को ही मिलता है।

इसलिए अगर आज आपको यह मौका मिलता है और आप इस मौके का फायदा उठाने के लिए फिट है। आपके अंदर वह काबिलियत है, वह टैलेंट है आपके अंदर मेरिट है, तो आपको यह काम जरूर करना चाहिए।

अपने जीवन का 4 वर्ष देश के हर युवा को देश की रक्षा के लिए देने ही चाहिए यह बहुत बड़ी बात है। जब आप 4 साल के बाद वापस लौट आएंगे तो आपको इसके लिए फक्र होगा और भारत का जो समाज है भारत के जो लोग हैं वह जीवन भर आपको एक सम्मान की दृष्टि से देखेंगे।

अग्नीपथ स्कीम की खास बातें

  1. भर्ती की नई योजना भारतीय सेनाओं के लिए ऐतिहासिक बदलाव है। भारतीय सेना की जड़े रॉयल इंडियन आर्मी में है, जिसे अंग्रेजों ने बनाया था।
  2. 1761 में भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट मद्रास रेजीमेंट का गठन हुआ था। उसके बाद एक के बाद एक पंजाब, जाट, सिख गोरखा जैसी रेजीमेंट आती रही।
  3. इनमें भर्ती की एक खास पैटर्न होता है और खास तौर पर इन्फेंट्री रेजीमेंट में भर्ती के लिए एक खास जाति धर्म या क्षेत्र के आधार पर रेजिमेंट बनाई जाती है।
  4. भारतीय सेना में सैनिकों की भर्ती होने के नियम भी समय के साथ साथ बदलते रहते हैं। लेकिन आजादी के बाद जो भर्ती का नियम बना उसमें 15 साल की अनिवार्य सैनिक सेवा होती थी। यानी कि एक बार अगर कोई युवा सेना में भर्ती हो गया रिक्रूट के तौर पर तो उसे 15 साल तक नौकरी करनी पड़ेगी।
  5. उसके बाद उसकी पेंशन मैच्योर हो जाएगी जिसको सैनिक की भाषा में पेंशन पकना कहते हैं। उसके बाद वह पेंशन ग्रेच्युटी और दूसरे फायदे लेकर घर जा सकता है या वह कुछ साल और नौकरी कर सकता है।
  6. हाल फिलहाल के दिनों में देखा गया कि भारतीय सेना में सैनिकों की औसत आयु ज्यादा है। भारतीय सेना में सैनिकों की औसत आयु इस समय 32 साल है।
  7. भारतीय सेना लगातार ऑपरेशंस में उलझी हुई है। पाकिस्तान और चीन के साथ पुराने सीमा विवाद है और वहां झड़प घुसपैठ ट्रांसग्रेशन यहां तक की युद्ध होते रहते हैं।
  8. ऐसी स्थिति में भारतीय सेना को हाईली एटीट्यूड यानी की ऊंचाई या मुश्किल इलाकों में लगातार ऑपरेशन करते रहना पड़ता है।
  9. इसके अलावा भारतीय सेना आतंकवाद विरोधी कार्रवाईयों में भी लगातार लगी हुई है। इन कार्रवाईयों के लिए बेहतरीन शारीरिक कौशल की आवश्यकता होती है जो एक खास उम्र के बाद मुश्किल से ही हासिल हो पाता है।

Agneepath Yojana eligibility तथा लाभ

  • Agneepath Yojana के तहत सैनिकों की भर्ती किया जाएगा और वह Agniveer (अग्निवीर) कहलाएंगे।
  • उन्हें केवल 4 साल की नौकरी करनी होगी। भर्ती की उम्र 17.5 साल से लेकर 21 साल तक की होगी। 4 साल नौकरी करने के बाद ज्यादातर अग्निवीर वापस अपने नागरिक जीवन में आ जाएंगे।
  • उनको किसी भी प्रकार की पेंशन अथवा ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी। लेकिन उनकी तनख्वाह का एक हिस्सा जमा होता रहेगा और वह उसे बाद में सेवा निधि के तौर पर मिलेगा।
  • उदाहरण के तौर पर अग्निवीर को पहले साल 30,000 रुपए महीने मिलेंगे। उनमें से 21000 उन्हें अदा कर दिए जाएंगे और 9000 रुपए सेवा निधि के खातों में जमा कर दी जाएगी। इतनी ही रकम सरकार उस सैनिक के खाते में जमा कराएगी।
  • 4 साल पूरा करने के बाद जब अग्निवीर सेना से बाहर होंगे तो उनके पास 11 लाख रुपए की एकमुश्त रकम होगी जो टैक्स फ्री होगी।
  • इसके अलावा उनको कोई बेनिफिट नहीं मिलेंगे। अग्निवीर बहुत ही युवा अवस्था में ही सेना से बाहर जाएगा। इस स्थिति में नागरिक जीवन में उन्हें नई नौकरी की जरूरत होगी।
  • अग्नीपथ भर्ती योजना में इस बात का ख्याल रखा गया है। 4 साल की नौकरी के दौरान अग्निवीर (Agniveer) को टेक्निकल एजुकेशन या हायर एजुकेशन के मौके दिए जाएंगे। उसको आईटीआई से डिप्लोमा अथवा सर्टिफिकेट हासिल करने का भी मौका रहेगा।
  • 4 साल बाद अग्निवीर कॉर्पोरेट सेक्टर में अपनी तकनीकी ज्ञान, डिप्लोमा सर्टिफिकेट और सैनिक सेवा के सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पा जाएंगे।
  • रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कई कॉर्पोरेट सेक्टर से इस बारे में बात चल रही है और उन्होंने सेना में प्रशिक्षित सैनिकों को लेने में दिलचस्पी दिखाई है।
  • रक्षा मंत्री ने अग्नीपथ योजना की घोषणा करते वक्त कहा कि इससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और साथ ही सेना में हर साल नए युवाओं की भर्ती का रास्ता भी खुलेगा।

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