वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा के घर में भगवान कुबेर विराजमान होते हैं। इसीलिए इस दिशा में पैसे को संजो कर रखने वाली चीजें जैसे अलमारी अथवा तिजोरी रखना शुभ माना जाता है।

घर की सीढ़ियों के नीचे पूजा घर अथवा मंदिर नहीं होना चाहिए। यह वास्तु सम्मत नहीं है। पूजा घर, शौचालय के आसपास, दीवाल से सटा हुआ अथवा ऊपर या नीचे नहीं होना चाहिए। इससे यस घटती है।

वास्तु शास्त्र (Vastu Tips hindi) के अनुसार रसोई का दरवाजा पश्चिम अथवा उत्तर की ओर खुलना चाहिए। इससे घर में बरकत होती है। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बनाया हुआ भोजन शरीर और मन को स्वस्थ रखता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार अथवा आंगन में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। प्रतिदिन इस पौधे के नीचे दीपक जला कर रखने से घर में सुख शांति और धन-संपत्ति भरा पूरा रहता है।

vastu के अनुसार घर के सामने नीम अथवा पीपल का वृक्ष सबसे अच्छा होता है। जहां नीम औषधीय गुणों की खान है वही पीपल हमें शुद्ध और ताजा ऑक्सीजन देती है।

वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार घर की सीढ़ी हमेशा पूरब से पश्चिम अथवा उत्तर से दक्षिण दिशा में ही होनी चाहिए। पूर्व दिशा की ओर सीढ़ियां बनवा रहे हैं तो सिढ़ी का कोई भी हिस्सा पूरब दिशा की ओर लगी न हो।

वास्तु के अनुसार घर की सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या में होनी चाहिए जैसे 5, 7, 11, 15, 17, 19 या फिर 21. विषम संख्या में बनने वाली सीढ़ियां घर में सुख शांति और खुशियां लेकर आती है।

दक्षिण दक्षिण पूर्व दिशा में चूल्हा रखने से ग्रहणी का मुख हमेशा सकारात्मक ऊर्जा ओं की दिशा में रहता है। इससे खाना बेहतर तो बनता ही है साथ ही अच्छा और शुभ भी होता है।

लेट्रिन बाथरूम हमेशा उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए। सूर्य की डूबने वाली किरणें जब यहां पड़ती है तो यह गीले बाथरूम को सुखाने में मदद करती है। यह वास्तु के अनुसार भी उपयुक्त है।

शौचालय नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। अगर घर का टॉयलेट सही दिशा में नहीं बना हो तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। टॉयलेट का सीट हमेशा उत्तर दक्षिण दिशा में होना चाहिए।

लाखों का घर बनाने के बाद भी अगर रंगों का ठीक से चुनाव नहीं किया गया तो इसका असर जीवन पर पड़ता है। बेडरूम में गुलाबी, हल्का पीला अथवा हल्का नीला रंग करवाना चाहिए, इससे रिश्तो में मधुरता बनी रहती है।

घर बनाते वक्त वास्तु की अनदेखी बिल्कुल नहीं करनी चाहिए इससे लोगों की समस्याएं बढ़ जाती है। पूजा घर में मंदिर हमेशा ईशान कोण में ही स्थापित करना चाहिए। पूजा करते समय आपका मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।

वास्तु विज्ञान का संबंध भवन निर्माण से है। इसका ध्यान ना रखने से घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है और लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वास्तु संबंधी ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ें-